सरकार स्टील के आयात शुल्क में कटौती के लिए तैयार, MSME को बचाने के लिए जरूरी है यह कदम

घरेलू बाजार में स्टील के बढ़ते दाम को देखते हुए सरकार इसके आयात शुल्क में कटौती पर विचार कर रही है।

Update: 2021-05-11 18:33 GMT

घरेलू बाजार में स्टील के बढ़ते दाम को देखते हुए सरकार इसके आयात शुल्क में कटौती पर विचार कर रही है। इसकी मुख्य वजह यह है कि बहुत से सेक्टरों की छोटी व मझोली कंपनियों (एमएसएमई) के लिए स्टील बेहद महत्वपूर्ण कच्चा माल है। घरेलू बाजार में पिछले कुछ समय के दौरान स्टील के दाम तेजी से बढ़े हैं और एमएसएमई की लागत पर नकारात्मक असर पड़ा है। सूत्रों का कहना है कि एमएसएमई सेक्टर की इन दिक्कतों को देखते हुए सरकार स्टील पर आयात शुल्क घटाकर शून्य या उसके आसपास लाने पर विचार कर सकती है।

सूत्रों ने कहा कि एक बैठक में स्टील उत्पादों के दाम की समीक्षा का फैसला लिया गया है। इसके तहत चुनिंदा स्टील उत्पादों पर आयात शुल्क पूरी तरह खत्म कर देने या इसे घटाकर शून्य के आसपास लाने पर विचार हुआ। इसकी वजह यह है कि इन उत्पादों के उपयोगकर्ता उद्योगों को घरेलू बाजार में इनके बढ़ते दामों की वजह से उत्पादन में काफी दिक्कत आ रही है।
फिर, कोरोना संकट के चलते देश की प्रमुख स्टील उत्पादक कंपनियों के अधिकतर संयंत्रों को आपूर्ति की जाने वाली ऑक्सीजन फिलहाल अस्पतालों और अन्य उन संस्थाओं को जा रही है। इससे ज्यादातर स्टील प्लांट इस वक्त परिचालन में नहीं हैं और बाजार में स्टील की किल्लत हुई है। यह भी घरेलू बाजार में स्टील उत्पादों के दाम में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण है।
सरकार घरेलू बाजार में मांग और आपूर्ति में अंतर को पाटने के लिए आयातित स्टील पर जोर दे रही है। इसलिए भी स्टील आयात पर शुल्क घटाना जरूरी हो गया है। चालू वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए इस वर्ष फरवरी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नॉन-एलॉय, एलॉय व स्टेनलेस स्टील के सेमी, फ्लैट और लांग प्रोडक्ट्स पर आयात शुल्क घटाकर एकसमान 7.5 फीसद कर दिया था। पहले इन पर 10-12.50 फीसद शुल्क लगता था। इन उत्पादों पर आयात शुल्क घटाकर शून्य या उसके आसपास लाने पर विचार हो रहा है।
घरेलू बाजार में स्टील के दाम में तेज बढ़ोतरी को देखते हुए वित्त मंत्री ने स्टील स्क्रैप पर आयात शुल्क घटाकर शून्य कर दिया था। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि शुल्क घटाकर 2.5 फीसद किया जाए या शून्य पर ले आया जाए, इस बारे में विचार चल रहा है। वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) जल्द शुल्क में कटौती की घोषणा कर सकता है।उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों हॉट रोल्ड कॉयल (एचआरसी) और कोल्ड रोल्ड कॉयल (सीआरसी) के दाम में खासा बढ़ोतरी हुई है। इससे एचआरसी का दाम करीब 56,000 रुपये प्रति टन और सीआरसी का दाम लगभग 87,000 रुपये प्रति टन पर जा पहुंचा है।
ऑटो और अन्य उद्योगों में इस स्टील का कच्चे माल के तौर पर बड़ी मात्रा में उपयोग किया जाता है। इन उत्पादों के दाम बढ़ जाने की वजह से ही पिछले दिनों कई ऑटो कंपनियों ने वाहनों के दाम बढ़ा दिए। भारत की एक दिक्कत यह भी है कि चीन अपने स्टील उत्पादकों को निर्यात पर दी जाने वाली छूट समेट रहा है, क्योंकि उसे घरेलू उत्पादन को मजबूती देना है। ऐसे में भारतीय बाजार में स्टील के दाम में कमी की तत्काल कोई संभावना नहीं दिख रही है।
स्टील कंपनियां इसके पक्ष में नहीं
स्टील उद्योग के सूत्रों का कहना है कि उद्योग सरकार के इस कदम से सहमत नहीं है। अगर आयात शुल्क में कटौती की जाती है तो भारतीय बाजार सस्ते और दोयम दर्जे के स्टील से भर जाएगा, जिसका खामियाजा घरेलू स्टील उत्पादकों को ही भुगतना पड़ेगा। लंबे समय के बाद स्टील सेक्टर लाभ में लौटता दिख रहा है। अगर सरकार ने आयात शुल्क में कटौती की तो इसकी संभावना खत्म हो जाएगी।


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