वोडाफोन- आइडिया के लिए अच्छी खबर, तिमाही नतीजों में कम हुआ कंपनी का घाटा, जाने

दरअसल कंपनी का कर्ज तो बढ़ता ही जा रहा है साथ ही नया निवेश खत्म होने से मुश्किलें और बढ़ गई है. जिसके चलते वोडाफोन-आइडिया के चेयरमैन कुमार मगंलम बिड़ला ने सरकार से कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी.

Update: 2021-08-15 03:08 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कर्ज के बोझ से दबी निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (Vodafone Idea) को 30 जून, 2021 को समाप्त चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7,319 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध घाटा हुआ है. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में कंपनी को 25,460 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. तिमाही के दौरान कंपनी की एकीकृत परिचालन आय करीब 14 प्रतिशत घटकर 9,152.3 करोड़ रुपये रह गई, जो एक साल पहले समान तिमाही में 10,659.3 करोड़ रुपये थी.

पहली तिमाही के अंत तक कंपनी का कुल सकल ऋण 1,91,590 करोड़ रुपये था. इसमें 1,06,010 करोड़ रुपये की स्पेक्ट्रम भुगतान की प्रतिबद्धता तथा 62,180 करोड़ रुपये की समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) देनदारी शामिल है. समीक्षाधीन तिमाही के अंत तक कंपनी के पास नकदी और नकदी समतुल्य राशि 920 करोड़ रुपये थी. इस तरह कंपनी पर शुद्ध रूप से 1,90,670 करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ था.
कंपनी पर भारी भरकम कर्ज
हालांकि पिछली तिमाही की तुलना में कंपनी का घाटा बढ़ गया है. पिछली तिमाही में कंपनी को 6985.1 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. वोडाफोन आइडिया के प्रबंध निदेशक एवं चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) रविंदर टक्कर ने कहा कि हम अपनी रणनीतियों के क्रियान्वयन पर ध्यान दे रहे हैं, जिससे अपने ग्राहकों को आगे रख सकें. हमारी लागत को महत्तम करने की योजना पटरी पर है. हम कोष जुटाने के लिए संभावित निवेशकों के साथ बातचीत कर रहे हैं.
क्यों हो रही है बंद होने की चर्चा
दरअसल कंपनी का कर्ज तो बढ़ता ही जा रहा है साथ ही नया निवेश खत्म होने से मुश्किलें और बढ़ गई है. जिसके चलते वोडाफोन-आइडिया के चेयरमैन कुमार मगंलम बिड़ला ने सरकार से कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की. लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब न आने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया. बिड़ला के इस्तीफा देने के बाद यह बात जोर पकड़ रही है कि कही अब कंपनी बंद तो नहीं होने वाली है. हालांकि वोडोफोन इंडिया के सीईओ ने अपने कर्मचारियों को दिलासा दिया है कि पैनिक होने की जरुरत नहीं है. मामला सब कंट्रोल में है. लेकिन आंकड़ें कुछ और ही गवाही दे रहे हैं.
विलय से भी नहीं निकला हल
वोडाफोन आइडिया गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रही है. फंड जुटाने की उसकी कोशिशें नाकाम रही हैं. बिड़ला ने हाल ही में कर्ज में डूबी कंपनी को बाहर निकालने के लिए एक तत्कालिक सरकारी पैकेज की मांग की थी. 31 अगस्त, 2018 में वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर का विलय हुआ था. तब से यह कंपनी लगातार घाटे में है इस पर 1.80 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है. वोडा को आइडिया के साथ इसलिए विलय किया गया था ताकि मुश्किलें कम हो सके लेकिन कम होने के बजाय ये और बढ़ती चली गई.


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