पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के लिए आई अच्छी खबर, घाटा 38000 करोड़ रुपए घटा
लगता है पावर डिस्कॉम सेक्टर के अच्छे दिन की शुरुआत हो चुकी है. वित्त वर्ष 2019-20 में पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी जिसे डिस्कॉम कहते हैं, उसके घाटे में 38 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई. उस वित्त वर्ष में डिस्कॉम का कुल घाटा 38 फीसदी घटकर 38000 करोड़ रुपए रह गया. उससे पहले के वित्त वर्ष यानी 2018-19 में डिस्कॉम का कुल घाटा 61360 करोड़ रहा था.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लगता है पावर डिस्कॉम सेक्टर के अच्छे दिन की शुरुआत हो चुकी है. वित्त वर्ष 2019-20 में पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी जिसे डिस्कॉम कहते हैं, उसके घाटे में 38 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई. उस वित्त वर्ष में डिस्कॉम का कुल घाटा 38 फीसदी घटकर 38000 करोड़ रुपए रह गया. उससे पहले के वित्त वर्ष यानी 2018-19 में डिस्कॉम का कुल घाटा 61360 करोड़ रहा था.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट में पावर मिनिस्टर RK सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने डिस्कॉम की स्थिति में सुधार के लिए कई अहम उपाय किए हैं. इसके कारण इसके रेवेन्यू में सुधार हुआ है और घाटे में कमी आई है. डिस्कॉम के लिए नौवें एनुअल रेटिंग को जारी करते हुए सिंह ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी को पैदा करने और उससे आने वाले रेवेन्यू के गैप को 42 पैसे से घटाकर 38 पैसा किया गया है. पावर सेक्टर लेंडर PFC ने गुजरात के चार डिस्कॉम और हरियाणा के दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम को A+ रेटिंग दी है.
अलग-अलग राज्यों के डिस्कॉम की अलग-अलग रेटिंग
आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मेघालय, झारखंड, मणिपुर, त्रिपुरा और तमिलनाडु के आठ डिस्कॉम को सबसे कम C रेटिंग दी गई है. इस रेटिंग को लेकर आरके सिंह ने कहा कि जब तक किसी कंपनी का सही असेसमेंट नहीं हो जाता है, वहां सुधार संभव नहीं है. सही रेटिंग और असेसमेंट की मदद से राज्य सरकार, फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन्स और अन्य स्टेक होल्डर्स के लिए ऐनालिसिस करना आसान होगा.
पावर डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम के लिए 3 लाख करोड़
पिछले महीने मोदी सरकार ने पावर डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम के लिए 3.03 लाख करोड़ रुपए की मंजूरी दी है. इस फंड से डिस्कॉम को इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण और सुधार के लिए पैसे दिए जाएंगे. 3 लाख करोड़ के इस फंड में केंद्र सरकार 97631 करोड़ रुपए देगी. राज्य सरकारें पहले ही पावर रिफॉर्म के लिए चार सालों के एडिशनल बॉरोइंग को मंजूरी दे चुकी हैं.
कई स्कीम को मर्ज किया गया
उस समय वित्त मंत्री ने कहा था कि वर्तमान में जारी IPDS, DDUGJY और SAUBHAGYA स्कीम को मर्ज कर दिया जाएगा. इस सुधार के लिए राज्य सरकारें अगले चार सालों तक एडिशनल बॉरोइंग कर सकती हैं. यह रकम ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी GSDP का 0.50 फीसदी होगा. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए यह राशि 1.05 लाख करोड़ रुपए होगी. अब इसे कैबिनेट की मंजूरी मिलने का मतलब ये है कि अब इस पर अमल लिया जा सकेगा. अगर ये योजना सही तरीके से अमल में लाई जाती है तो कंपनियों को तो फायदा मिलेगा ही साथ ही इससे आम लोगों को भी फायदा मिलेगा और हर घर में 24 घंटे बिजली मिल सकेगी.