अच्छी खबर! बढ़ती लागत के बावजूद छोटे पैक में पूरा होगा वजन, नहीं होगा कीमतों में इजाफा
पिछले कई दिनों से आप लगातार महंगाई जद्दोजहद कर रहे होंगे. सच भी है. ईंधन, खाने पाने की चीजों ने आम आदमी को तारे दिखा दिए हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले कई दिनों से आप लगातार महंगाई (Inflation) से जद्दोजहद कर रहे होंगे. सच भी है. ईंधन, खाने पाने की चीजों ने आम आदमी को तारे दिखा दिए हैं. इन सबसे बीच हम आपके लिए एक अच्छी खबर लेकर आए हैं. बात ये हैं कि फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स यानी एफएमसीजी (FMCG) कंपनियां छोटे पैक के साइज को कम नहीं करेंगी. यानी आपको उतना ही साइज मिलेगा जितना अभी तक मिल रहा था.अब माजरे को डिटेल में समझ लेते हैं. दरअसल, एफएमसीजी कंपनियों को बिक्री की चिंता सताने लगी है. यही वजह है जो बढ़ती लागत के बावजूद एंट्री लेवल की कीमतों को बनाए रखने और छोटे पैक के साइज को कम नहीं करने की योजना बनाई है.
बिस्किट बनाने वाली कंपनी पारले प्रोडक्ट्स के सीनियर कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा कि छोटे पैक की कीमतों में कोई बढ़ोतरी या कमी नहीं होगी क्योंकि इससे वॉल्यूम पर बुरा असर पड़ेगा, खासकर जब बिक्री कम होने के संकेत मिल रहे हों.
एफएमसीजी की बिक्री में एंट्री-लेवल और स्मॉल पैक्स की हिस्सेदारी 55% तक होती है. इसमें ब्रिटानिया और पारले का 2, 5 और 10 रुपए जैसे कम कीमत वाले पैक में 50 से 55% बिक्री का योगदान है. पर्सनल केयर मैन्यूफैक्चरर कंपनी इमामी 23-24% छोटे पैक सेल करती है. कंपनी के वाइस-चेयरमैन मोहन गोयनका ने बताया कि जहां महंगाई के चलते कम यूनिट प्राइस पैक्स की बिक्री में कोई खास डेवलपमेंट नहीं हुआ है. कंपनी कीमतों में इजाफा नहीं करेगी और ना ही वजन को कम करेगी.
यहां दिख रहा है असर
वी-मार्ट रिटेल के प्रबंध निदेशक ललित अग्रवाल के मुताबिक अधिकांश की आय 25,000 रुपये प्रति माह से कम है. ये लोग महंगाई की मार से गुजर रहे हैं, जिससे उन्हें महीने में 2,000-3,000 रुपये का और झटका लगा है. वी-मार्ट रिटेल के अग्रवाल ने कहा, 'उन शहरों में जहां जीडीपी प्रति व्यक्ति आय कम है, वहां ज्यादा असर दिख रहा है.
अब जरा आंकड़ों की बात कर लेते हैं. भारत की रिटेल इन्फलेशन बढ़ती इनपुट कीमतों के कारण अप्रैल में आठ साल के हाई यानी 7.79% पर पहुंच गई, जिससे कीमतों में बढ़ोतरी हुई. ऐसे में एफएमसीजी कंपनियां छोटे पैक की कॉस्ट में सुधार करने की कोशिश कर रही हैं. कंपनियों का पांच रुपए से ज्यादा 10 रुपए के छोटे पैक पर ज्यादा फोकस बना हुआ है.