आम बजट: प्राथमिकता वाली फसलों व उद्यमों पर फोकस, नई योजनाओं में कई पुरानी परियोजनाएं समाहित
आम बजट में सरकार ने जरूरत वाली खेती को विशेष प्रोत्साहन दिया है। खासतौर पर आमदनी बढ़ाने वाले कृषि क्षेत्रों को खास तरजीह दी गई है।
नई दिल्ली। आम बजट में सरकार ने जरूरत वाली खेती को विशेष प्रोत्साहन दिया है। खासतौर पर आमदनी बढ़ाने वाले कृषि क्षेत्रों को खास तरजीह दी गई है। घाटे और जैसे तैसे चल रही खेती की जगह विकास दर को रफ्तार देने वाले क्षेत्रों को बजटीय समर्थन मिला है। पशुधन, डेयरी और मत्स्य क्षेत्र को आम बजट का बूस्टर डोज दिया गया है। उनके बजटीय आवंटन में काफी वृद्धि हुई है। इन्हीं क्षेत्रों की विकास दर के भरोसे एग्रीकल्चर सेक्टर बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। देश में जिन कृषि ¨जसों की भारी कमी है और जिसमें आयात निर्भरता लगातार बढ़ रही है उन क्षेत्रों के लिए विशेष प्रोजेक्ट शुरु किए जाने का प्रावधान किया गया है।
कृषि मंत्रालय के लिए आम बजट में 1.24 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जो पिछले वित्त वर्ष के आम बजट से छह हजार करोड़ रुपए अधिक है। कृषि क्षेत्र के बजट आवंटन में इनोवेशन, किसान ड्रोन्स, मोटे अनाज को बढ़ावा, एग्रीटेक स्टार्ट अप और एफपीओ (किसान संगठन) को विशेष प्रोत्साहन दिया गया है। लेकिन कई पुरानी योजनाओं से तौबा कर ली गई है। उनकी जगह कृषोन्नति योजना के तहत कई केंद्रीय योजनाओं को समेटा गया है। कृषोन्नति योजना में ज्यादातर नई परियोजनाओं को शामिल करने के साथ खाद्य तेल वाली तिलहनी फसलों के लिए शुरु जा रही लगभग दर्जनभर योजनाओं को स्थान दिया गया है।
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कृषि मंत्रालय से अलग होने के बाद पशु पालन, डेयरी और मत्स्य मंत्रालय को विशेष प्रोत्साहन दिया गया है। उनके बजटीय आवंटन में पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी की गई है। पशु पालन व डेयरी का बजट 2713 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 3918 करोड़ रुपए कर दिया गया है। जबकि मत्स्य पालन का बजट 1407 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2118 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इसमें प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के मद का बजट 1200 करोड़ रूपए से बढ़ाकर 1879 करोड़ रुपए कर दिया गया है। समुद्री उत्पादों पर जोर देने क साथ सरकार का पूरा ध्यान इनलैंड फीसरीज पर है। देश में लाखों हेक्टेयर जलाशयों की उपलब्धता है, जिसका पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। जबकि वैश्विक बाजार में भारतीय समुद्री उत्पादों के साथ अन्य मछलियों की मांग की पर्याप्त संभावनाएं हैं। मत्स्य संपदा योजना के माध्यम से इसे आगे बढ़ाया जाएगा। इनॉ सेक्टरों से एग्रीकल्चर ग्रोथ को काफी उम्मीदें हैं।
खाद्यान्न उत्पादन की विकास दर किसी भी हाल में दो फीसद तक नहीं पहुंच पा रही है। पशुधन, डेयरी और मत्स्य क्षेत्र की पर्याप्त संभावनाओं के मद्देनजर सरकार ने इसी सेक्टर पर दांव लगाते हुए पर्याप्त बजटीय समर्थन दिया है। वैश्विवक बाजार में भारतीय मसाले, फल, फूल और सब्जियों की मांग है, उसके लिए बजटीय प्रावधान किया गया है। हाई वैल्यू वाले इन उत्पादों की खेती को बढ़ाने के साथ मजबूत सप्लाई चेन की जरूरत है। आम बजट में इसका प्राविधान किया गया है। खाद्य तेलों का बढ़ता आयात सरकार की सबसे बड़ी ¨चता है। इसे लेकर पिछले एक दशक से छोटी बड़ी कई परियोजनाएं और मिशन शुरु किए गए लेकिन आयात पर काबू नहीं पाया जा सका है। इसीलिए तिलहनी फसलों की खेती को व्यापक व योजनाबद्ध तरीके से शुरु करने का निश्चय किया गया है। एक ओर परंपरागत तिलहनी फसलों की उत्पादकता व खेती की रकबा बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली का भी सहारा लिया जा रहा है। दूसरी ओर खाद्य तेलों के सस्ते आयात को रणनीतिक तौर पर हतोत्साहित किया रहा है।