दिल्ली में टमाटर खरीद रहे किसान,मिल रहा है लागत 2-3 रुपये, मेहनत का फायदा उठा रहे है बिचौलिये और रिटेलर

दिल्ली में 40 रुपये किलो खरीद रहे हैं उसके बदले किसानों को सिर्फ 2-3 रुपये मिल रहा है. किसानों की मेहनत का फायदा बिचौलिए और रिटेलर उठा रहे हैं.

Update: 2021-08-22 11:37 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :-  महाराष्ट्र के औरंगाबाद पैठण बाजार में सही दाम न मिलने की वजह से किसानों (Farmers) ने ट्रक से भरा हुआ टमाटर सड़क के किनारे फेंक दिया. इस साल महाराष्ट्र में टमाटर (Tomato) की फसल अच्छी हुई है लेकिन उसका लागत मूल्य भी न मिलने की वजह से किसान परेशान हैं. जिस टमाटर को आप दिल्ली में 40 रुपये किलो खरीद रहे हैं उसके बदले किसानों को सिर्फ 2-3 रुपये मिल रहा है. किसानों की मेहनत का फायदा बिचौलिए और रिटेलर उठा रहे हैं.

महाराष्ट्र के कई बाजारों में हालात ऐसे हैं कि खेत से बाजार तक टमाटर को ले जाना मुश्किल हो रहा है. इसलिए वे उसे सडक के किनारे फेंकने पर मजबूर हैं. हर साल एक-दो बार ऐसे हालात जरूर पैदा होते हैं जब किसान दाम न मिलने से इतना मजबूर हो जाता है कि उसे खुद अपनी फसल इस तरह बर्बाद करना होता है. इतना कम दाम देखकर लगता है कि किसान टमाटर की खेती करके फंस गए. इससे पहले कर्नाटक में भी कम दाम से परेशान किसानों ने टमाटर को सड़क किनारे फेंक दिया था. इसी साल मई में पुणे जिले के नारायण गांव में कई किसानों ने टमाटर फेंक दिया था.
Tomato Price
इसी साल मई में पुणे जिले के नारायण गांव में टमाटर फेंके जाने की यह फोटो हमें ऑल इंडिया वेजिटेबल ग्रोअर्स एसोसिएशन ने भेजी थी.
प्रोडक्शन ज्यादा, डिमांड कम
आल इंडिया वेजिटेबल ग्रोअर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट श्री राम गाडगिल ने कहा, " इन दिनों टमाटर उत्पादक किसान बहुत घाटे में चल रहे हैं, क्योंकि उत्पादन ज्यादा है और डिमांड कम. टमाटर जल्दी खराब होने वाली फसल है. उसे स्टोर करके रखने का इंतजाम किसानों के पास नहीं है. कई शहरों में रिटेल में इन दिनों टमाटर 30 से लेकर 40 रुपये किलो के भाव से बिक रहा है. असली फायदा बिचौलियों (middlemen) को मिल रहा है. इनके कमीशन पर कोई कंट्रोल नहीं होता. जबकि कई महीने की मेहनत के बाद इसे पैदा करने वाले किसानों को 2 से 3 रुपये किलो का दाम मिल रहा है."
औरंगाबाद के किसान का दर्द सुनिए
गोविंद श्रीरंग गीते महाराष्ट्र स्थित औरंगाबाद के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा, "हम इस समय टमाटर को 5 रुपये कैरेट में बेच रहे हैं. जबकि इसकी एक एकड़ की खेती (Tomato farming) में कम से कम एक लाख रुपये का खर्च आता है. अब हालात ऐसे हो गए हैं कि लागत के पैसे भी नहीं निकल पा रहे हैं. हमारी सरकार से यही मांग हैं कि टमाटर उत्पादन किसानों के लिए कुछ आर्थिक मदद करे, नहीं तो हमारे पास आत्महत्या करने के अलावा कुछ नहीं बचेगा."
दाम न मिलने पर टमाटर पैदा करने वाले किसान होते हैं परेशान
आजादपुर मंडी और ई-नाम पर क्या है रेट
दिल्ली की आजादपुर मंडी में भी टमाटर का न्यूनतम रेट 3.25 रुपये प्रति किलो रह गया है. जबकि अधिकतम मूल्य यहां 22 रुपये किलो है. जबकि राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ऑनलाइन मंडी (e-Nam) में भी इसका मॉडल प्राइस सिर्फ 600 रुपये प्रति क्विंटल है. ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है जहां इसकी बड़े पैमाने पर खेती होती है वहां पर दाम को लेकर किसान कितने परेशान होंगे. आप को बता दें कि टमाटर एक बागवानी फसल है. महाराष्ट्र के कई जिलों में इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जाती हैं.


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