कर्ज और सूखे के तनाव से परेशान हैं किसान, सरकार से की कर्जमाफी की अपील
किसानों ने की कर्जमाफी की अपील
मुंबई से करीब 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मराठवाडा के बीड जिले में किसान इन दिनों भयंकर सूखे (Drought) का सामाना कर रहे हैं. सोयाबीन (Soybean) के खेत में खड़े किसान बंडु मारुति डिंडे अपनी सूखी फसल को दिखा रहे हैं. वो सरकार से अपना कर्ज (loan) माफ करने की गुजारिश कर रहे हैं. जब फसल नहीं होगी तो किसान कैसे कर्ज चुकाएगा. अभी हाल ही में हमने महाराष्ट्र के कई जिलों में भारी बारिश (Rainfall) और बाढ़ का तांडव देखा था. जिससे हजारों हेक्टेयर में फसलें बर्बाद हुई हैं. वहीं दूसरी ओर विदर्भ और मराठवाडा के किसान आजकल सूखे की चपेट में हैं. हालांकि, सरकार से अब तक उन्हें कोई मदद मिलने का आश्वासन तक नहीं मिला है.
बीड ही नहीं उसके आसपास के जालना और औरंगाबाद जिलों में भी बारिश बहुत कम हुई है. जिसकी वजह से फसलें सूख रही हैं और किसानों (farmers) के कर्ज के दलदल में फंसने की पूरी संभावना नजर आ रही है. इसलिए वे हताश और निराश हैं. यहां के कई तालुका में किसानों की आंखें बारिश के इंतजार में पथरा गई हैं. मौसम विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक बीड जिले में एक जून से 20 अगस्त तक सामान्य से 19% फीसदी कम बारिश हुई है.
उधार के पैसे से की थी खेती, सूखे ने सब बर्बाद किया
बंडु मारुति डिंडे बताते हैं, "पिछले एक महीने से बारिश नहीं हो रही है. सोयाबीन की खेती के लिए हमें खेत तैयार करने से लेकर बीज खरीदने तक में बहुत ज्यादा खर्च करना पड़ा है. अब तक हमने अपने खेत में 70 हजार रुपये खर्च कर दिया है. फसल को देखकर ऐसा लगता है कि सारी लागत चौपट हो जाएगी. पिछले महीने में पहली बारिश आई थी, तभी हमने सोयाबीन की बुवाई की थी, लेकिन तब से अब तक एक महीना हो रहा है बारिश का नामोनिशान तक नहीं है."
"बारिश न होने की वजह से जानवरों को चारा भी नसीब नहीं हो रहा है. उनके चारे के लिए भी दर-दर भटकना पड़ रहा है. किसानों की इस समस्या को कौन देखेगा? अभी तक सरकार का कोई एक प्रतिनिधि हमारे यहां हमारी समस्याओं को देखने तक नहीं आया."
महाराष्ट्र के बीड जिले में बारिश न होने की वजह से सूख रही फसल
किसानों ने राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई
किसान डिंडे कहते हैं कि राज्य सरकार को हमारा कर्ज माफ करना चाहिए. साथ ही फसल बीमा (Crop Insurance) के पैसे भी देना चाहिए. पिछले साल हमें फसल बीमा के पैसे नहीं मिले थे. इस साल भी हमें बीमा के पैसे मिलते हैं या नहीं, कुछ पता नहीं है. हम सरकार से मांग करते हैं कि हमारा पूरा कर्ज माफ करे. अन्यथा किसानों के आत्महत्या करने की नौबत आ जाएगी. इसलिए सबसे पहले किसानों को कर्ज से उबारा जाए.
पहली बार नहीं बारिश के लिए तरस रहे किसान
महाराष्ट्र के बीड जिले में ये पहली बार नही हुआ है कि वहां के किसान पानी के लिए तरस रहे हैं. इस क्षेत्र में हर साल पानी की कमी होने कारण किसानों को सब से ज्यादा नुकसान झेलना पड़ता है. बारिश नहीं होने की वजह से किसान खेती नहीं कर पाते. यहां पिछले कई साल से किसान सूखे का सामना कर रहे हैं.
सूखे जैसे हालत के पीछे की वजह
कमजोर मॉनसून की सबसे अधिक मार विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों में देखने को मिलती है. कृषि प्रधान इन क्षेत्रों के किसानों की खेती बारिश पर निर्भर है. मराठवाड़ा की भौगोलिक स्थिति कुछ ऐसी है कि यहां अच्छी बारिश नहीं होती. अरब सागर की तरफ से बढ़ता हुआ मॉनसून (Monsoon) मध्य महाराष्ट्र तक अच्छी बारिश देता है जबकि मराठवाड़ा तक आते-आते कमजोर हो जाता है. जिससे बीड, लातूर, नांदेड़ और औरंगाबाद जैसे जिले सूखे रह जाते हैं. इन भागों में बारिश की कमी और सिंचाई के कम साधनों की वजह से किसान परेशान हैं.