किसान कई गुना अधिक रकबे में कर रहे बुवाई, सरसों की खेती में गेहूं के मुकाबले लागत कम, बनी प्रमुख फसल

सरसों की खेती में गेहूं के मुकाबले लागत कम

Update: 2021-12-16 16:54 GMT
पिछले रबी सीजन में किसानों को सरसों की फसल का अच्छा भाव मिला था. यह ज्यादातर समय तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक भाव पर बिका. कई मंडियों में सरसों की कीमत 8000 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक हो गई थी. वहीं आगामी कटाई सीजन के लिए सरकार ने एमएसपी में 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है और अब यह 5050 रुपए हो गया है.
बीते सीजन में मिले अच्छे भाव और एमएसपी में बढ़ोतरी ने किसानों को सरसों की अधिक रकबे में खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया है. यहीं कारण है कि कई किसानों के लिए यह इस रबी सीजन में प्रमुख फसल बन गई है. हरियाणा के अंबाला जिले में सरसों के रकबे में दोगुने से अधिक की वृद्धि हुई है. द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले सीजन में जिन किसानों ने एक एकड़ खेत में सरसों की बुवाई की थी, वे इस बार 10 एकड़ से अधिक खेत में सरसों बो रहे हैं.
सरसों की खेती में गेहूं के मुकाबले लागत कम
अंबाला जिले में सरसों का रकबा 2020-21 के रबी सीजन में 2,390 हेक्टेयर से बढ़कर 2021-22 सीजन में 5,160 हेक्टेयर हो गया है. यह दोगुने से अधिक की बढ़ोतरी है. इस पर बात करते हुए डीडीए के गिरिश नागपाल कहते हैं कि फसल विविधीकरण के लिए किए गए प्रयासों के परिणाम दिखने लगे हैं.
उन्होंने कहा कि किसानों ने गेहूं से तिलहन की फसल की ओर रुख करना शुरू कर दिया है. तिलहनी फसलों की उन्हें अच्छी कीमत मिल रही है. वहीं गेहूं की तुलना में सरसों की खेती में कम लागत की आवश्यकता होती है. कम लागत और अधिक भाव मिलने के कारण यह अधिक लाभकारी हो गया है. यहीं कारण है कि किसान इसकी ज्यादा मात्रा में खेती कर रहे हैं.
सरसों की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि वे कटाई के बाद सूरजमुखी, मूंग और गन्ने की खेती करेंगे. सरसों के खेत गेहूं के मुकाबले जल्दी खाली हो जाते हैं. वहीं तिलहनी फसल की खेती के बाद मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा भी बढ़ जाती है.
किसानों को इस बार भी अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद
संभलखा गांव के किसान प्रदीप चौहान ने कहा कि पिछले साल 1 एकड़ के मुकाबले इस साल मैंने 11 एकड़ में सरसों की बुवाई की है. पिछले सीजन में मैंने एक एकड़ से करीब 40,000 रुपए कमाए थे, इसलिए मैंने रकबा बढ़ाने का फैसला किया. गेहूं का रकबा 25 एकड़ से घटकर 14 एकड़ रह गया है. मुझे उम्मीद है कि अगले रबी फसल कटाई के मौसम में भी किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेगा. सरसों की कटाई के बाद मैं सूरजमुखी की बुवाई करूंगा.
गांव लालपुर के मुनीश कुमार ने कहा कि पिछले सीजन में सरसों की कीमतों में कुछ अच्छा स्तर देखने के बाद मैंने इस साल रकबा 5.5 एकड़ से बढ़ाकर 7 एकड़ कर दिया है. मैंने अपनी फसल 6,100 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बेची थी. सरसों के बाद मैं गन्ना बोऊंगा और यह सिर्फ धान और गेहूं की फसल की खेती से बेहतर लगता है.
एक व्यापारी अजय गुप्ता ने कहा कि पिछले सीजन में मिली अच्छी कीमतें किसानों के लिए सरसों की खेती में रुचि दिखाने का प्रमुख कारण है. तिलहन को एमएसपी से ज्यादा मिला. पिछले सीजन में सरसों ने 7,000 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर को भी छुआ था. अगले सीजन में भी अच्छी कीमतों की उम्मीद है.
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