खाद्य तेल: सोयाबीन तेल और तिलहन के दाम हुए कम

सोयाबीन तेल और तिलहन के दाम हुए कम

Update: 2021-11-03 17:24 GMT

विदेशों में मिले- जुले रुख के बावजूद आयात सस्ता होने की वजह से बुधवार को दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बिनौला और सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में गिरावट देखने को मिली. बाकी तेल तिलहनों के भाव पूर्ववत बने रहे. बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 2.1 प्रतिशत की तेजी रही जबकि शिकागो एक्सचेंज में बुधवार को आधा प्रतिशत की गिरावट रही. सूत्रों ने कहा कि मंडियों में बिनौला की नई फसल की आवक बढ़ने तथा सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम के सस्ता होने से भी बिनौला तेल में गिरावट दर्ज हुई.


उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियां साठगांठ कर किसानों की उपज लूटने के लिए वायदा कारोबार में सोयाबीन का भाव नीचे चला रखी हैं. सोयाबीन का आयात करने का भाव हाजिर भाव से कहीं कम बैठता है. कांडला पोर्ट पर सोयाबीन का भाव 119 रुपए किलो बैठता है जबकि हाजिर भाव 121.50 रुपए किलो है. इस बेपरता कारोबार की वजह से सोयाबीन तेल तिलहन में गिरावट आई है.
वायदा कारोबार के जरिए कारोबार किया जाता है प्रभावित
उन्होंने मांग की कि वायदा कारोबार में पारदर्शिता की कमी होने की वजह से बड़ी कंपनियां यहां के कारोबार को प्रभावित करती हैं और मंडियों में उपज की आवक शुरू होते ही वायदा कारोबार में भाव तोड़कर किसानों को कम भाव में अपनी फसल बेचने को मजबूर किया जाता है.

सूत्रों ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि हाल ही में सोयाबीन की बिजाई के समय जब किसानों को सोयाबीन के बीज आसानी से नहीं मिल पा रहे थे, उस समय वायदा कारोबार में सोयाबीन का भाव था- लगभग 10,800 रुपए क्विन्टल. आज जब किसान उसी उपज को मंडियों में बेचने के लिए ला रहे हैं तो वायदा भाव लगभग 5,400 रुपए क्विन्टल चल रहा है.

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, आठ अक्टूबर को सरसों का वायदा कारोबार बंद करने के समय सरसों के अक्टूबर अनुबंध का वायदा भाव घटाकर 8,040 रुपए क्विन्टल कर दिया गया. लेकिन जब डिलिवरी का समय आया तो 20 अक्टूबर को वायदा भाव बढ़ाकर लगभग 8,800 (सौदे का निचला भाव) रुपए क्विन्टल कर दिया गया. सूत्रों ने कहा कि इसी प्रकार सरसों के नवंबर अनुबंध का भाव जयपुर हाजिर मंडी के भाव से 350-400 रुपए क्विन्टल नीचे रखा गया है. उन्होंने कहा कि इसी सौदे की डिलिवरी के समय यानी 18 नवंबर को इस भाव को बढ़ा दिया जा सकता है.

'तेल-तिलहन के वायदा कारोबार को बंद करना चाहिए'
सूत्रों ने कहा कि देश के कांडला बंदरगाह पर सोयाबीन रिफाइंड के आयात का भाव 110 रुपए लीटर, पामोलीन 115 रुपए लीटर, सूरजमुखी रिफाइंड 109 रुपए लीटर, मूंगफली रिफाइंड 127 रुपए लीटर पड़ता है. इन तेलों की पैकिंग, सारे खर्च, जीएसटी तथा खुदरा, थोक एवं कंपनियों के मुनाफे को जोड़कर 25-30 रुपए लीटर का खर्चा आता है.
उन्होंने कहा कि इस हिसाब से सोयाबीन रिफाइंड का भाव अधिकतम 137 रुपए लीटर आना चाहिए, लेकिन बाजार भाव इससे कहीं बहुत ज्यादा है. उन्होंने कहा कि अगर तिलहन उत्पादन में सही मायने में देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो सभी तेल तिलहन के वायदा कारोबार को बंद करना चाहिए, जहां कोई पारदर्शिता नहीं है.
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