Edible Oil Price: आम आदमी को होगा सीधा फायदा, कैबिनेट में हुआ था बड़ा ऐलान

महंगे खाने के तेल से आम लोगों को राहत मिलने वाली है. सरकार ने सोया तेल और सनफ्लावर तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी को 15 परसेंट से घटाकर 7.5 परसेंट कर दिया

Update: 2021-08-20 09:50 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Edible Oil Prices: महंगे खाने के तेल से आम लोगों को राहत मिलने वाली है. सरकार ने सोया तेल और सनफ्लावर तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी को 15 परसेंट से घटाकर 7.5 परसेंट कर दिया है. इससे पहले सरकार ने क्रूड पाम ऑयल पर भी इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती की थी. अब देखा जाए तो सारे टैक्स मिलाकर प्रभाव ड्यूटी कटौती 8.25 परसेंट हो चुकी है. कुल ड्यूटी 38.50 परसेंट से घटकर 30.25 परसेंट पर आ चुकी है. कुल ड्यूटी में एग्री सेस और सोशल वेलफेयर सेस भी शामिल है.

आम आदमी को होगा सीधा फायदा

इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती का सीधा फायदा आम लोगों के किचन के बजट पर पड़ेगा, हालांकि इंपोर्ट ड्यूटी में ये कटौती 30 सितंबर तक के लिए ही है. अभी सरकार सालाना 1.5 करोड़ टन खाने के तेल का इंपोर्ट करती है, जिस पर करीब 70,000 करोड़ रुपये का खर्च आता है. जबकि देश की सालाना खपत 2.5 करोड़ टन खाने के तेल की है. भारत में मलेशिया और इंडोनीशिया दोनों ही देशों से पाम ऑयल का आयात किया जाता है. भारत ने पिछले साल 72 लाख टन पाम ऑयल मलेशिया और इंडोनेशिया से मंगवाया था. कुल आयात में पाम तेल की हिस्सेदारी करीब 55 फीसदी है. 34 लाख टन सोया तेल का इंपोर्ट ब्राजील और अर्जेंटीना से और 25 लाख टन सनफ्लावर ऑयल को इंपोर्ट रूस और यूक्रेन से हुआ.

कैबिनेट में हुआ था बड़ा ऐलान

इसके पहले मोदी सरकार ने बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पाम ऑयल मिशन (Palm Oil Mission) की योजना को मंजूरी दी. खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने 11,040 करोड़ रुपए के पाम ऑयल मिशन (National Edible Oil Mission-Oil Palm- NMEO-OP) का ऐलान किया. सरकार ने ये कदम भारत को खाने के तेलों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया है. सरकार के इस मिशन से पाम ऑयल के इंपोर्ट पर निर्भरता घटेगी और किसानों की आय भी बढ़ने का रास्ता साफ होगा. साथ ही साथ ऑयल इंडस्ट्री को भी फायदा होगा.

किसानों के लिए बड़ा फैसला

कैबिनेट की बैठक में ये भी फैसला हुआ कि अगर बाजार में उतार चढ़ाव आया और किसान की फसल का मूल्य कम हुआ तो जो अंतर की राशि है वो केंद्र सरकार DBT के माध्यम से किसानों को भुगतान करेगी. खेती की सामग्री में जो पहले राशि दी जाती थी उस राशि में भी बढ़ोतरी की गई है. पूर्वोत्तर क्षेत्र में लोग इंडस्ट्री लगा सके इसके लिए इंडस्ट्री को भी 5 करोड़ रुपये की सहायता देने का निर्णय लिया गया.

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