अर्थव्यवस्था: 31 मई के बाद से खुल सकते है लॉकडाउन, अर्थशास्त्री ने बताए ये उपाय
पूरे देश में कोरोना के मामलों में कमी आ रही है।
पूरे देश में कोरोना के मामलों में कमी आ रही है। दिल्ली में चौबीस घंटे में संक्रमण के नए मामलों की संख्या घटकर 1600 तक हो गई है तो यूपी में यह संख्या 6 हजार से भी नीचे आ गई है। अभी ज्यादातर राज्यों ने अपने यहां 30-31 मई तक लॉकडाउन घोषित किया हुअस है, लेकिन यही ट्रेंड बना रहा तो 31 मई के बाद आंशिक हिस्सों में लॉकडाउन खोलने की शुरुआत हो सकती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अभी से इसके संकेत दिए हैं।
हालांकि, लॉकडाउन खोलने के बाद भी देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। अर्थव्यवस्था ठप पड़ी हुई है, लोगों के पास रोजगार नहीं है, ग्रामीण क्षेत्रों में भी मांग कमजोर बनी हुई है। ऐसे में मांग को बढ़ाने में मुश्किलें सामने आ सकती हैं।
क्या मजदूर वापस आएंगे
अक्तूबर-नवंबर में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना कहर बरपा रहा है। ऐसे में अगर 31 मई के बाद लॉकडाउन खुलता भी है तो क्या मजदूरों की वापसी होगी? अगर श्रमिकों की शहरों में वापसी नहीं होती है तो उद्योगों की गति पर असर पड़ सकता है। सरकारों को टीकाकरण की गति तेज करने के साथ रोजगार उपलब्ध कराने का भरोसा भी देना होगा।
इस तरह सुधर सकती है अर्थव्यवस्था
अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ कहते हैं सभी देशों की अर्थव्यवस्था ठहरी हुई है। लेकिन वहां की सरकारों ने सरकारी सहायता और योजनाओं के माध्यम से लोगों की जेब में पैसा पहुंचाया है। यह अर्थव्यवस्था का आजमाया हुआ तरीका है। लोगों के हाथ में पैसा पहुंचने से वे उसे खर्च करते हैं और इस प्रकार मांग में बढ़ोतरी होती है। भारत सरकार को भी इस सूत्र को अपनाकर अर्थव्यवस्था को गति देने का काम करना चाहिए।
गौरव वल्लभ के मुताबिक दूसरा उपाय यह हो सकता है कि मनरेगा जैसी योजनाओं में भी ज्यादा पैसा निवेश किया जाए। ध्यान देने की बात है कि इस समय कुल मांग का केवल 60 प्रतिशत रोजगार देना ही मनरेगा से संभव हो पा रहा है। अगर इसे सौ फीसदी किया जा सके तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति दी जा सकती है।
कांग्रेस नेता के अनुसार, केंद्र सरकार ने जीएसटी को बेहद अतार्किक तरीके से लागू किया है। उसने मोटर साइकिल जैसी बेहद जरूरी चीजों पर भी जीएसटी की दर 28 प्रतिशत रखी है। जबकि यह ग्रामीण के साथ शहरी क्षेत्र की बेहद आवश्यक सामग्री है. तीसरी आवश्यक चीज है कि अगर सरकार इस तरह की बेहद जरूरी चीजों पर जीएसटी दर घटाकर एक सीमित दायरे में लाए तो मांग बढ़ेगी। इनकी मांग के साथ-साथ स्टील, टायर-ट्यूब और ऑटो सेक्टर सहित अन्य उद्योगों में जान आएगी।
चौथी बात, इसके आलावा केंद्र और राज्य सरकारों को निवेश वाली योजनाओं में लागत बढ़ानी चाहिए। इससे रोजगार का सृजन होगा और मांग में रफ्तार आएगी। पांचवीं और सबसे अहम बात, श्रमिकों को राशन के साथ-साथ वैक्सीनेशन के मामलों में गति तेज करनी चाहिए। इससे बाजार में विश्वास बहाली हो सकेगी।