Airtel और वोडा आइडिया को DoT ने दी राहत, 3050 करोड़ के जुर्माने पर TDSAT का खटखटाया दरवाजा, जानिए

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अक्टूबर 2016 में रिलायंस जियो को इंटर-कनेक्टिविटी से इनकार करने के लिए एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया पर कुल 3,050 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की थी.

Update: 2021-10-12 03:56 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारती एयरटेल (Bharti Airtel) और वोडाफोन आइडिया (Vodafoe Idea) ने दूरसंचार विभाग द्वारा 'प्वाइंट ऑफ इंटरकनेक्ट' मामले में कुल 3,050 करोड़ रुपये का जुर्माना देने के लिए जारी नोटिस को चुनौती देने के लिए दूरसंचार न्यायाधिकरण का रुख किया है. उद्योग सूत्रों ने कहा कि एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने अब दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) का रुख किया है और दूरसंचार विभाग (डॉट) की मांग नोटिस तथा जुर्माने को चुनौती दी है. इस मामले पर मंगलवार को सुनवाई हो सकती है.

इस संबंध में भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया लिमिटेड को भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं मिला. डॉट ने नियामक ट्राई की पांच साल पुरानी सिफारिश के आधार पर वोडाफोन आइडिया पर 2,000 करोड़ रुपये और भारती एयरटेल पर 1,050 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. कंपनियों को दिए गए मांग नोटिस के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने जुर्माना देने के लिए दूरसंचार परिचालकों को तीन सप्ताह का समय दिया है.
आरोप को बताया बेबुनियाद
इससे पहले भारती एयरटेल के प्रवक्ता ने 1 अक्टूबर को कहा था, हम एक नए परिचालक को प्वाइंट ऑफ इंटरकनेक्ट के प्रावधानों से संबंधित 2016 की ट्राई की सिफारिशों के आधार पर मनमानी और अनुचित मांग से बहुत निराश हैं. ये आरोप बेबुनियाद हैं.
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अक्टूबर 2016 में रिलायंस जियो को इंटर-कनेक्टिविटी से इनकार करने के लिए एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया पर कुल 3,050 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की थी.
नियामक ने उस समय यह कहते हुए दूरसंचार लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश नहीं की थी, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं को काफी असुविधा हो सकती है.
जियो ने लगाया था ये आरोप
ट्राई की सिफारिश रिलायंस जियो (Reliance Jio) की शिकायत पर आई थी. जियो ने कहा था कि उसके नेटवर्क पर 75 प्रतिशत से अधिक कॉल नहीं लग रही थीं, क्योंकि पर्याप्त संख्या में इंटरफेस (पीओआई) जारी नहीं किए जा रहे थे. दूरसंचार विभाग की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था डिजिटल संचार आयोग ने जुलाई 2019 में इस जुर्माने को मंजूरी दी थी.
ग्राहकों के सभी एप्लिकेशन अब डिजिटल होंगे
दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार कंपनियों को ग्राहक आवेदन फार्मों (Customer Application Forms) को डिजिटल रूप देने की अनुमति दे दी है. इससे ग्राहकों से जुड़े आंकड़े को अपडेशन करना आसान हो जाएगा. इस कदम से दूरसंचार संचालकों को ग्राहक के आवेदन फार्म (CAFs) जमा करने और उसे संभालकार रखने की व्यवस्था से भी मुक्ति मिलेगी. CAFs के डिजिटलीकरण के लिए जारी दूरसंचार विभाग के दिशानिर्देश के अनुसार, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) को कागज आधारित सीएएफ दस्तावेजों की डिजिटल रूप से स्कैन की गई रंगीन प्रतियों को रखने की अनुमति है. सभी सक्रिय ग्राहकों के लिए सीएएफ दस्तावेजों की डिजिटल रूप से स्कैन की गई प्रतियों को सुरक्षित रखा जाना चाहिए.
सीएएफ दस्तावेजों में पहचान और आवास प्रमाण पत्र के दस्तावेजों के साथ सीएएफ शामिल होते हैं. संबंध तोड़ चुके ग्राहकों के मामले में दूरसंचार कंपनियों को सीएएफ दस्तावेजों की डिजिटल रूप से स्कैन की गई प्रतियों को तीन साल की अवधि के लिए संभालकर रखने की जरूरत होती है.
टेलीकॉम कंपनियों को मिलेगी बड़ी राहत
दिशानिर्देशों में कहा गया है, कागजी दस्तावेजों को डिजिटलीकरण के बाद नष्ट किया जा सकता है. हालांकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों/अदालतों के निर्देश पर इसे संभालकर रखने की जरूरत होगी. दूरसंचार विभाग ने कहा कि सेवा प्रदाताओं के गोदामों में कागजी दस्तावेजों को संभाल कर रखने का वर्तमान प्रावधान समाप्त हो गया है और कागजी आवेदन फॉर्म के साथ दस्तावेजों के ऑडिट की आवश्यकता नहीं है.


Tags:    

Similar News

-->