पहली बार डिजिटल बजट पेश होने जा रहा है, क्या निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा

. बजट 2021 कई मायनों में खास रहने वाला है.

Update: 2021-01-19 09:12 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | बजट 2021 कई मायनों में खास रहने वाला है. एक तरफ पहली बार डिजिटल बजट पेश होने जा रहा है तो वहीं इकोनॉमी के मौजूदा हालात को देखते हुए भी यह बजट काफी खास रहने वाला है. उम्मीद की जा रही है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए कुछ अहम घोषणाएं कर सकती हैं. कुल मिलाकर यह बजट इन्वेस्टर फ्रेंडली होना चाहिए ताकि निवेशकों का भरोसा बढ़ सके.

खत्म हो डिविडेंट पर टैक्स: स्टॉक और म्युचुअल फंड से मिलने वाले डिविडेंट पहले करमुक्त थे, लेकिन पिछले बजट में टैक्स के दायरे में ला दिया गया. नए नियमों के मुताबिक अब हर तरह के डिविडेंट्स स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल हैं. इस कारण कई निवेशकों को हानि हुई. खासकर ऐसे निवेशक जो 30 से 40 फीसदी के टैक्स स्लैब में आते हैं.

कैपिटल गेन्स टैक्स पर मिले लाभ: 3 साल पहले तक लान्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स फ्री हुआ करता था. लेकिन अब इसपर 1 लाख रुपए से ज्यादा पर 10 फीसदी का टैक्स है. निवेशकों को राहत देने के लिए लान्ग टर्म कैपिटेल गेन्स टैक्स को या तो पूरी तरह खत्म करना चाहिए या फिर इसकी सीमा बढ़ाकर 3 लाख कर देनी चाहिए.साथ ही इसका मिनिमम होल्डिंग पीरियड भी एक साल से बढ़ाकर दो साल करना चाहिए. वहीं लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अनक्लेम एक्जंपशन लिमिट को भी 5 वित्त वर्ष के लिए बढ़ाना चाहिए

म्युचुअचल फंड स्कीम्स में स्विचिंग पर मिले टैक्स छूट: अक्सर देखा गया है कि जानकर निवेशकों को खराब म्युचुअल फंड से बेहतर एमएम स्कीम में स्विच करने की सलाह देते हैं. लेकिन ये टैक्सेबल होता है. हालांकि जब कोई निवेशक यूलिप से किसी पेंशन प्लान या एनपीएस में स्विच करता है तो इस पर कोई टैक्स नहीं है. इसी तरह अगर डेट फंड और कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड तीन साल से पहले बेचे जाते हैं, तो इससे मिलने वाले लाभ पर पर टैक्स लिया जाता है जो स्लैब के मुताबिक होता है. वहीं तीन साल बाद की इंडेक्सेशन के बाद 20% की दर से टैक्स लगता है. वहीं इक्विटी या हाइब्रिड फंड की बात करें छोटी अवधि की लाभ पर 15 फीसदी का टैक्स लगाया जाता है. हालांकि 1 साल बाद 1 लाख रुपए तक इसपर छूट मिलती है अगर उससे ज्यादा होता है तो इसपर 10 फीसदी का टैक्स लगता है. म्युचुअल फंड स्विच करने पर कोई टैक्स नहीं लगना चाहिए. इस राहत से म्युचुअल फंड निवेशकों का भरोसा बढेगा और वे ज्यादा निवेश कर सकेंगे.

एक निवेश एक टैक्स: अलग अलग निवेश पर अलग टैक्स लगाने से बेहतर होगा एक निवेश एक टैक्स, मसलन लान्ग टर्म कैपिटल गेन्स की कैलकुलेशन को यूनिफॉर्म कर देना चाहिए. अभी मौजूदा दौर में स्टॉक के लिए 1 साल, रियल एस्टेट के 2 साल और गहनो और डेट फंड पर 3 साल का समय है. यहां तक की सबका टैक्स की गणना भी अलग अलग है. सोने के गहनों, बार, सिक्कों और गोल्ड बार पर 20 फीसदी का एलटीजीसी है. जबकि गोल्ड बॉन्ड मैच्योरिटी तक टैक्स फ्री है. यहां तक की मैच्योरिटी से पहले बेचने पर भी केवल 10 फीसदी का ही टैक्स है. इसलिए बजट में कैपिटल गेन टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव करने की जरुरत है.

अंत में डिविडेंट पर टैक्स हटाने और होल्डिंग अवधि के अंतर और विसंगतियों को ठीक करने से निवेशकों में एक नया विश्वास पैदा होगा. जिससे वो ज्यादा से ज्यादा निवेश कर सकेंगे और इकोनॉमी को भी बूस्ट मिल सकेगा.

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