2000 रुपए का नोट बंद हो सकता है?, 2 साल से एक भी नोट की छपाई नहीं, वित्त मंत्री का बयान आया सामने

Update: 2021-03-15 14:49 GMT

धीरे-धीरे 2000 रुपये के नोट सर्कुलेशन में कम क्यों हो रहे हैं? एटीएम मशीन से भी 2000 रुपये के नोट कम निकल रहे हैं? हर किसी के मन में सवाल पैदा हो रहा था कि आखिर 2000 रुपये के नोट कम होने के पीछे वजह क्या है? जिसका जवाब अब सरकार ने ही दे दिया है. सरकार ने लोकसभा में बताया है कि पिछले दो वर्षों में 2 हजार रुपये के एक भी नोट की छपाई नहीं हुई है. वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने संसद में यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि नोटों की प्रिंटिंग को लेकर आरबीआई के साथ बातचीत कर सरकार फैसला लेती है. अप्रैल 2019 के बाद से एक भी नया 2000 का बैंक नोट नहीं छापा गया है. यही नहीं, अनुराग ठाकुर ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में लगातार 2000 रुपये के नोट प्रचलन में घटे हैं. उन्होंने बताया कि 30 मार्च 2018 को 2000 रुपये के 336.2 करोड़ नोट सर्कुलेशन में थे, जबकि 26 फरवरी 2021 को इसकी संख्या घटकर 249.9 करोड़ रह गई. वहीं मार्च, 2020 के अंत तक चलन में मौजूद 2,000 के नोटों की संख्या 273.9 करोड़ थी. जबकि मार्च- 2019 के अंत में 2000 के नोटों की संख्या 329.1 करोड़ थी.

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को संसद में एक लिखित जवाब में कहा, 'किसी मूल्य के बैंक नोटों की छपाई का फैसला जनता की लेन-देन की मांग को पूरा करने के लिए RBI की सलाह पर लिया जाता है.' उन्होंने कहा कि 2019-20 और 2020-21 में 2000 रुपये के नोट की छपाई का ऑर्डर नहीं दिया गया है. केंद्र सरकार की मानें तो 2000 रुपये के बैंक नोट की छपाई बंद करने का फैसला इसकी जमाखोरी रोकने और ब्‍लैक मनी पर शिकंजा कसने के लिए लिया गया है.

एक रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से तीन साल के दौरान जहां 2000 रुपये नोट का प्रचलन घटा है, वहीं इस दौरान 500 और 200 रुपये के नोटों के प्रसार में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. मूल्य और मात्रा दोनों के हिसाब से 500 और 200 रुपये के नोट का प्रसार बढ़ा है. रिपोर्ट के अनुसार, प्रचलन में कुल मुद्राओं में 2,000 के नोट का हिस्सा मार्च, 2020 के अंत तक घटकर 2.4 प्रतिशत रह गया था. यह मार्च, 2019 के अंत तक तीन प्रतिशत और मार्च, 2018 के अंत तक 3.3 प्रतिशत था.

गौरतलब है कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के ऐलान के बाद सरकार ने 2 हजार रुपये का नोट पहली बार जारी किया था. नोटंबदी में सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोट को अवैध घोषित कर दिया था. 2000 रुपये के नोट जारी करने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे कालेधन पर रोक लगाने में कामयाबी मिलेगी.

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