नई दिल्ली: मध्य वर्ग को इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव को लेकर बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण से यह अछूता रहा है। यह लगातार 7वां ऐसा बजट था, जिसमें इनकम टैक्स स्लैब पर कोई चेंज नहीं किया गया है। इसके अलावा डिडक्शन को लेकर भी कोई राहत नहीं दी गई है।
नौकरी-पेशा करने वाले लोग बजट से राहत की आस लगाए बैठे थे। लेकिन फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण, ने बजट 2022 (Budget 2022) में इनकम टैक्स को लेकर कोई भी घोषणा नहीं की। इससे इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव और इनकम टैक्स रेट्स घटाए जाने की उम्मीद लगाए हुए आम लोगों को निराशा ही हाथ लगी है। फाइनेंस मिनिस्टर बजट में वर्क फ्रॉम होम डिडक्शन या स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट में बढ़ोतरी से जुड़ी कोई भी घोषणा नहीं की और न ही स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट में कोई बदलाव किया गया है।
सेक्शन 80C के तहत लाइफ इंश्योरेंस, हाउसिंग लोन के प्रिंसिपल रीपेमेंट, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट, टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड्स, प्रॉविडेंट फंड, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड और बच्चों की ट्यूशन फीस पर टैक्स डिडक्शन मिलता है। हर फाइनेंशियल ईयर में इसकी लिमिट 1.5 लाख रुपये है। पिछली बार यह लिमिट वित्त वर्ष 2014-15 में बढ़ाई गई थी। इससे पहले 80C के तहत 1 लाख रुपये का टैक्स डिडक्शन मिलता था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर सेक्शन 80C की लिमिट में बढ़ोतरी होती है तो आम लोग ज्यादा बचत करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
पिछली बार बेसिक पर्सनल टैक्स इग्जेम्शन लिमिट में साल 2014 में बदलाव किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार का पहला बजट पेश करते हुए उस समस के फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने बेसिक पर्सनल टैक्स इग्जेम्शन लिमिट को 2 लाख रुपये बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया था। सीनियर सिटीजंस के लिए इग्जेम्शन लिमिट को 2.5 लाख रुपये से 3 लाख रुपये किया गया था। तब से लेकर अभी तक बेसिक इग्जेम्शन लिमिट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
साल 2015 के बजट में केंद्र सरकार ने सेक्शन 80 CCD के तहत नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में 50,000 रुपये के कंट्रीब्यूशन पर एडिशनल डिडक्शन पेश किया। इसके अलावा, हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम्स पर डिडक्शन लिमिट को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये किया गया।