दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन में बड़ी उछाल, BitCoin ने तोड़ डाले अपने सभी रिकाॅर्ड

BitCoin

Update: 2021-03-14 07:31 GMT

पिछले कुछ दिनों से दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन में बड़ी उछाल देखी जा रही है। अपने सभी रिकाॅर्ड को तोड़ते हुए एक बिटक्वाइन की ताजा कीमतें 60,000 डाॅलर के पार पहुंच गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के पिछले दिनों 1.9 ट्रिलियन डॉलर की मदद के आदेश के बाद से ही बाजार में तेजी देखी जा रही है। और इसका असर बिटक्वाइन पर भी दिख रहा है। हालांकि कई एक्सपर्ट का मानना है कि यह तेजी सिर्फ कुछ ही समय के लिए है। बीच में एक ऐसा समय आया था जब क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में अचानक गिरावट आने लगी थी।

पिछले एक साल के दौरान बिटक्वाइन की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है। जहां एक साल पहले एक बिटक्वाइन की कीमत महज 5000 डाॅलर थी तो वहीं अब यह बढ़कर 60,000 डाॅलर के पार पहुंच गई है। भारतीय रुपये में अगर एक बिटक्वाइन की कीमत आंके तो यह करीब 43.85 लाख रुपया होगा।
इतनी तेजी के पीछे का कारण क्या है
बिटक्वाइन में दुनिया के कई बड़े इन्वेस्टर इंवेस्ट किए हुए हैं। इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी टेस्ला के मालिक एलन मस्क पिछले ने भी इसमें पैसा लगाया है। उन्होंने करीब 1.5 बिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट इसमें किया है। एलन मस्क समय-समय पर इसमें इंवेस्ट करने की सलाह भी देते रहते हैं। मार्केट एक्सपर्ट ईड मोया के अनुसार, 'बिटक्वाइन की कीमतें एक बार फिर बहुत तेजी से बढ़ेगी। और इसे रोकना किसी के लिए भी संभव नहीं होगा।'
क्रिप्टोकरेंसी का सफर
करीब 350 अरब डॉलर के बाजार पूंजीकरण के साथ बिटक्वाइन दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बन चुकी है। इसे 2009 में उस समय लांच किया गया था जब दुनिया में आर्थिक संकट आ चुका था। गणितीय गणनाओं के हल के आधार पर कंप्यूटरों ने बिटक्वाइन के अतिरिक्त यूनिट्स को तैयार किया। यह गणना हर बार यूनिट के जोड़े जाने के बाद और भी जटिल होती जाती है। इस आभासी मुद्रा की सबसे रोचक बात यह है कि इसका हिसाब-किताब हजारों कंप्यूटरों में एक साथ सार्वजनिक लेजर में रखा जाता है। यह ठीक उस प्रक्रिया के उलट है, जिसमें पारम्परिक मुद्राओं का हिसाब बैंकों के सर्वर में रखा जाता है।


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