जनविरोधी नीतियों के खिलाफ मजदूर संगठनों का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान

संयुक्त मंच ने श्रम संहिताओं को रद्द करने और गरीब मजदूरों को आय तथा खाद्य सुरक्षा देने की मांग भी की है।

Update: 2021-02-02 14:42 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | देश के 10 मजदूर संगठनों के संयुक्त मंच ने 2021-22 के बजट में प्रस्तावित निजीकरण और अन्य ''जनविरोधी नीतियों के खिलाफ तीन फरवरी को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही संयुक्त मंच ने श्रम संहिताओं को रद्द करने और गरीब मजदूरों को आय तथा खाद्य सुरक्षा देने की मांग भी की है।"

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इन दस मजदूर संगठनों में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूसीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), स्वरोजगार महिला संघ (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) शामिल हैं।
संयुक्त मंच ने एक बयान में कहा, ''केंद्रीय मजदूर संघों और स्वतंत्र क्षेत्रीय महासंघों/ संघों के संयुक्त मंच ने श्रम संहिता और बिजली बिल 2020 को खत्म करने, निजीकरण रोकने और आय समर्थन तथा सभी के लिए भोजन की मांग को लेकर तीन फरवरी को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने के लिए यूनियनों और कामगार वर्ग से आह्वान किया है।
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संयुक्त मंच ने अपने बयान में कहा कि आम बजट में घोषित नीतियां किसान विरोधी हैं, जिनका वह विरोध करेगा। बयान के मुताबिक विरोध प्रदर्शनों के दौरान कार्यस्थलों और औद्योगिक केंद्रों पर बड़ी संख्या में जुटकर सरकारी नीतियों का विरोध किया जाएगा और श्रम संहिता की प्रतियां जलाई जाएंगी।
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मजदूर संगठनों ने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया बजट जमीनी हकीकत से बहुत दूर है और आरोप लगाया कि यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए पूरी तरह से भ्रामक और विनाशकारी है तथा इससे मेहनतकश लोग बड़े पैमाने पर पीड़ित होंगे। बयान में कहा गया कि बजट में किसानों को कोई राहत नहीं मिली है और सरकार ने केवल ऋण लेने की सीमा बढ़ाने की घोषणा की है।


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