अनिल अंबानी को मिली राहत, कंपनी रिलायंस पावर को 72 करोड़ रुपए का हुआ मुनाफा

बैंक को दो महीने पहले नोटिस देना होता है जो यस बैंक ने पहले ही दे दिया था.

Update: 2021-05-08 04:53 GMT

कोरोना काल में देश के दिग्गज बिजनेसमैन और रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के मुखिया अनिल अंबानी को राहत मिली है. दरअसल उनकी कंपनी रिलायंस पावर को 72 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है. रिलायंस पावर जिसे पहले रिलायंस एनर्जी के नाम से जाना जाता था. इस कंपनी ने कोरोना काल में मुनाफा कमा कर दिखाया है.

रिलायंस पावर ने मार्च 2021 को समाप्त तिमाही में 72.56 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध मुनाफा कमाया. कंपनी ने मार्च 2020 में समाप्त तिमाही में 4,206.38 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध घाटा अर्जित किया था. ये अनिल अंबानी और रिलायंस इंफ्रा के सीईओ के राजा के लिए बड़ी राहत है कि कंपनी 4,206 करोड़ के घाटे से बाहर आकर 72 करोड़ का मुनाफा दिखा रही है.
आय में भी हुई बढ़त
रिलायंस पावर को इस दौरान मुनाफे के साथ साथ आय में भी बढ़त हुई है. कंपनी की कुल आय इस साल मार्च तिमाही में 1,691.19 करोड़ रुपये थी. एक साल पहले इसी अवधि में इसने 1,902.03 करोड़ रुपये की आय दिखायी थी. वित्तवर्ष 2020-21 में, कंपनी का एकीकृत शुद्ध मुनाफा 228.63 करोड़ रुपये था, जबकि 2019-20 में यह 4,076.59 करोड़ रुपये था. वर्ष 2020-21 में कंपनी की कुल आय 8,388.60 करोड़ रुपये थी, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 8,202.41 करोड़ रुपये थी.
लॉकडाउन को लेकर कही थी ये बात
इससे पहले पिछले महीने अनिल अंबानी के बेटे अनमोल अंबानी जो रिलायंस इंफ्रा (RInfra) और रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) के डायरेक्टर भी है. उन्होंने महाराष्ट्र में लगे लॉकडाउन पर सवाल उठाया था. अनमोल ने ट्वीट के जरिए कहा था कि प्रोफेशनल एक्टर अपनी फिल्मों की शूटिंग कर सकते हैं. प्रोफेशनल क्रिकेटर्स देर रात तक अपने खेल खेल सकते हैं. प्रोफेशनल नेता भीड़ के साथ अपनी रैलियों को जारी रख सकते हैं, लेकिन आपका बिजनेस या फिर काम आवश्यक सेवाएं नहीं है.
बेचनी पड़ी थी संपत्ति
इससे पहले बढ़ते कर्ज के चलते अनिल अंबानी को Reliance Infra का मुंबई हेड ऑफिस यस बैंक को बेचना पड़ा था. यह सौदा 1200 करोड़ रुपए में हुआ है. कंपनी के बयान के मुताबिक कंपनी इन पैसों से यस बैंक का कर्ज चुकाएगी. अनिल अंबानी की ओर से संचालित रिलायंस इंफ्रा पर करीब 2,892 करोड़ रुपए का बकाया वसूलने के लिए वित्तीय कार्रवाई की गई थी. बढ़ते दबाव के चलते रिलायंस इफ्रा को मजबूरन यह फैसला लेना पड़ा है. नियम के तहत अगर बैंक कंपनी की बिल्डिंग पर कब्जा लेती है तो बैंक को दो महीने पहले नोटिस देना होता है जो यस बैंक ने पहले ही दे दिया था.


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