पंजाब के परिणाम तय करेंगे भाजपा-शिअद की दोस्ती, कृषि कानूनों के विरोध में टूटा था गठबंधन

पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुका है। अब 10 मार्च को आने वाले परिणाम नए रिश्तों की पटकथा लिखेंगे।

Update: 2022-02-22 01:25 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुका है। अब 10 मार्च को आने वाले परिणाम नए रिश्तों की पटकथा लिखेंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के टूटे रिश्ते जुड़ने की भी संभावनाएं तेज हो गई हैं। दोनों दलों के दिग्गज नेता भी टूटे रिश्ते जुड़ने की बात से इनकार नहीं कर रहे हैं। हां, यह जरूर कह रहे हैं कि चुनाव परिणाम आने के बाद ही इस पर फैसला लिया जाएगा।

पंजाब की 117 विधानसभा सीटों के लिए रविवार को मतदान हो चुका है। अब सभी सियासतदानों को 10 मार्च को घोषित होने वाले चुनाव परिणाम का इंतजार है। वैसे इस बार पंजाब के चुनाव बेहद दिलचस्प रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जहां कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा के साथ चुनाव लड़ने के लिए अपनी पार्टी बनाई वहीं भाजपा इस बार अपने पुराने सहयोगी शिअद के बिना मैदान में उतरी और गठबंधन के सहयोगी (पीएलसी और शिअद संयुक्त) के साथ 117 सीटों पर चुनाव लड़ा। कुल सीटों में भाजपा ने 73 पर अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया।
हालांकि अब मतदान हो चुका है। किसानों के मुद्दे पर दोनों दलों के बीच गठबंधन पंजाब चुनाव से पहले ही टूट गया था लेकिन अब भी शिअद और भाजपा के बीच गठबंधन की संभावनाएं सामने आनी लगी हैं। इसका संकेत खुद दोनों पार्टियों के नेताओं ने देना शुरू कर दिया है। हाल ही में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन पूर्व मंत्री और शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने बयान दिया था कि भाजपा और शिअद की दोस्ती अब चुनाव परिणाम आने के बाद ही तय होंगे। इसके बाद भाजपा के महासचिव तरुण चुघ ने भी सोमवार को बयान देकर इन संभावनाओं को और प्रबल कर दिया है। चुघ ने इन संभावनाओं को खारिज नहीं करते हुए कहा है कि 10 मार्च को आने वाले परिणाम ही आगे की रणनीति को तय करेंगे।
भाजपा के साथ तीन बार मिली सत्ता
पंजाब में भाजपा के साथ शिअद तीन बार सत्ता हासिल कर चुकी है। 1997 में 68.14 प्रतिशत हुए मतदान में अकालियों ने भाजपा के साथ सरकार बनाई थी। इसके बाद 2007 में 76 प्रतिशत मतदान हुआ था और अकालियों ने सत्ता हासिल की। 2012 में मतदान प्रतिशत बढ़कर 78.30 के बाद भी अकालियों ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था।
अकाली, भाजपा और कैप्टन का नापाक गठजोड़: आप
आप नेता हरपाल सिंह चीमा ने शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी पर पंजाब और पंजाबियों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया है। बिक्रम सिंह मजीठिया के अकाली दल का भाजपा के साथ दोबारा गठजोड़ होने वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीमा ने कहा कि इस बयान ने शिअद और भाजपा के चेहरे को पंजाबवासियों के आगे बेनकाब कर दिया है। चीमा ने दावा किया कि शिअद, भाजपा और कैप्टन अमरिंदर सिंह के गठजोड़ की साझी सरकार मंगल गृह पर ही बन सकती है, क्योंकि पंजाब के वोटरों ने तीनों पार्टियों ने पूरी तरह नकार दिया है।
चीमा ने कहा कि चुनाव के दिन बिक्रम सिंह मजीठिया के पंजाब में सरकार बनाने के लिए अकाली दल का भाजपा के साथ गठजोड़ होने के दावे ने साबित कर दिया है कि किसानों, मजदूरों और पंजाब की जनता का वोट लेने के लिए अकाली दल भाजपा से अलग हुआ था। हालांकि सच यह है कि अकाली दल और भाजपा एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं।
अकाली दल का भाजपा के साथ अंदर खाते सियासी गठजोड़ आज भी कायम है लेकिन पंजाब के लोगों को धोखा देने के लिए अकाली दल ने भाजपा से अलग होना का ड्रामा किया था। चीमा ने कहा कि शिअद-भाजपा गठबंधन के कारण ही बिक्रम मजीठिया के खिलाफ केंद्र सरकार की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी एजेंसियों ने कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि मजीठिया के खिलाफ विभिन्न मामलों में केस दर्ज किए गए थे। भाजपा के समर्थन के कारण ही अकाली नेता अभी माफिया शासन चला रहे हैं। नशा माफिया, रेत माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया और केबल माफिया लोगों को लूट रहे हैं।
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