कुंभ का पहला स्नान, मकर संक्रांति पर क्यों है महत्व

कुंभ मेले का इंतजार अब समाप्त हो चुका है.

Update: 2021-01-14 08:23 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | कुंभ मेले का इंतजार अब समाप्त हो चुका है. कुंभ मेला इस बार हरिद्वार में आयोजित किया गया है. इस बार हरिद्वार में कुंभ 12 वर्ष बाद नहीं बल्कि 11 वर्ष बाद लगा है. कुंभ का आयोजन ज्योतिष गणना के आधार पर किया जाता है. लेकिन वर्ष 2022 में बृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में नहीं होंगे. इसलिए इसी वर्ष 11वें साल में कुंभ का आयोजन किया गया है. आज मकर संक्रांति के दिन से ही कुंभ मेले की शुरुआत हो चुकी है. आज कुंभ मेले का पहला स्नान है. हरिद्वार में मां गंगा  पर श्रद्धालु कुंभ के पहले स्नान के लिए पहुंचे हैं. आस्था और आध्यात्म का यह विश्व का सबसे बड़ा जमघट है जिसे कुंभ मेले के तौर पर जाना जाता है. आज पौष मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. साथ ही श्रवण नक्षत्र भी है.

कुंभ मेले के प्रमुख स्नान

कुंभ मेले में इस बार 6 प्रमुख स्नान हैं. पहला स्नान मकर संक्रांति पर यानी आज है. इसके बाद दूसरा स्नान 11 फरवरी को मौनी अमावस्या की तिथि पर होगा. इसके बाद तीसरा स्नान 16 फरवरी को बसंत पंचमी के पर्व पर होगा. चौथा स्नान 27 फरवरी को माघ पूर्णिमा की तिथि पर होगा. पांचवा स्नान 13 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा इस दिन हिन्दी नववर्ष का आरंभ होगा. छठा प्रमुख स्नान 21 अप्रैल को राम नवमी पर होगा.

कब होगा शाही स्नान

कुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है. इस बार कुंभ में कुल 4 शाही स्नान हैं. जो इस प्रकार हैं-

पहला शाही स्नान: 11 मार्च शिवरात्रि

दूसरा शाही स्नान: 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या

तीसरा मुख्य शाही स्नान: 14 अप्रैल मेष संक्रांति

चौथा शाही स्नान: 27 अप्रैल बैसाख पूर्णिमा

कुंभ स्नान का महत्व

कुंभ में स्नान करने से कई प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है. इस बार पहला प्रमुख स्नान मकर संक्रांति पर यानी आज हो रहा है. इस दिन 5 ग्रही योग भी बन रहा है जो प्रथम स्नान को और भी अधिक विशेष बना रहा है. इस दिन मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होगा. मकर राशि में इस दिन सूर्य के साथ गुरु, शनि, बुध और चंद्रमा भी मौजूद रहेंगे. कुंभ स्नान से शनि की अशुभता और राहु केतु से बनने वाले दोषों से भी निजात मिलती है. कुंभ में स्नान, दान और पूजा से जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है.

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