विज्ञान

वैज्ञानिकों का मानना: इस बार होगी कड़ाके की ठंड, उत्तरी भारत के लिए खतरनाक

Gulabi
21 Nov 2020 2:07 PM GMT
वैज्ञानिकों का मानना: इस बार होगी कड़ाके की ठंड, उत्तरी भारत के लिए खतरनाक
x
इस साल उत्तरी भारत में कड़ाके की ठंड पड़ने के आसार हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस साल उत्तरी भारत में कड़ाके की ठंड पड़ने के आसार हैं. साथ ही साथ पूरे देश में तापमान बीते कई सालों की अपेक्षा कम होने वाला है. खुद भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने ऐसे अनुमान लगाए हैं. इस समय ला नीना की स्थिति बन रही है, इस वजह से न केवल ठंड ज्यादा पड़ेगी, बल्कि ज्यादा लंबे समय तक खिंचेगी भी. जानिए, ये ला नीना क्या बला है, जो सर्दियों के लिए जिम्मेदार है और इस बार इसमें क्या बदलाव आया है.

एला नीना ग्लोबल जलवायु प्रणाली का हिस्सा है. ये स्पैनिश भाषा एक शब्द है, जिसका अर्थ है नन्ही बच्ची. पूर्वी प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर ये स्थिति पैदा होती है. इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है. इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर होता है और वो भी औसत से ठंडा हो जाता है.

फाइनेंशियल टाइम्स में आई एक रिपोर्ट में नेशनल ओशन सर्विस के हवाले से बताया गया कि ला नीना साल नौ महीने से लेकर सालभर तक हो सकता है. इस दौरान नॉर्थवेस्ट हिस्से में सर्दियों में तापमान पहले से कम होता है, जबकि साउथईस्ट में सर्दी के दौरान भी तापमान ज्यादा रहता है. यानी इस ठंड में देश के उत्तरी हिस्से में जोरदार ठंड होगी. साथ में शीतलहर की आशंका भी जताई जा रही है.


अब एल नीनो को भी समझलेते हैं.

ये भी जलवायु प्रणाली का एक हिस्सा है. ला नीना की ही तरह से ये भी मौसम पर तगड़ा असर डालती है. इसके आने से दु्नियाभर के मौसम पर असर दिखता है और बारिश, ठंड, गर्मी सबमें फर्क दिखाई देता है. वैसे राहत की बात ये है कि ये दोनों ही हालात हर साल नहीं, बल्कि 3 से 7 साल में दिखते हैं.


देश में ठंड, बहुत अधिक ठंड और कड़ाके की ठंड तय करने के लिए मौसम विभाग ने कुछ पैमाने तय कर रखे हैं. अगर दिन में अधिकतम तापमान, सामान्य तापमान से 4.5 डिग्री सेल्सियस तक नीचे रहता है, तो ऐसे दिन को सर्द दिन कहते हैं. उसी तरह से अगर दिन का अधिकतम तापमान, सामान्य तापमान से 6.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक रहता है तो इसे बहुत अधिक सर्दी पड़ना कहते हैं. वहीं अगर अधिकतम तापमान, सामान्य तापमान से 7 से 12 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है तो इसे कड़ाके की ठंड कहते हैं.


विशेषज्ञ मान रहे हैं कि क्लाईमेट चेंज की वजह से दुनियाभर में ज्यादा सर्दी भी पड़ रही है और ज्यादा गर्मी भी. पिछले कुछ वर्षों में ये लगातार देखने में आ रहा है. ये आने वाले वक्त में और बढ़ेगा. इसी तरह से बाढ़ और सूखे की स्थितियां भी बढ़ने वाली हैं. पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन की वजह से हालात बेकाबू हो रहे हैं. इसपर हुए पेरिस समझौते को दोबारा नए सिरे से देखने की बात भी ग्लोबल नेताओं के बीच हो रही है

Next Story