धर्म-अध्यात्म

घर में अशुभ प्रभाव पड़ने से पहले जानें ये उपाय

Tara Tandi
10 Jan 2021 12:01 PM GMT
घर में अशुभ प्रभाव पड़ने से पहले जानें ये उपाय
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दक्षिणमुखी प्लॉट और मकान अक्सर लोगों को सस्ते दामों में मिल जाते हैं.

जनता से रिश्ता बेवङेस्क| दक्षिणमुखी प्लॉट और मकान अक्सर लोगों को सस्ते दामों में मिल जाते हैं. क्योंकि वास्तु के मुताबिक इन्हें अशुभ माना जाता है. मान्यता है कि ऐसे मकानों में सुख शांति नहीं रहती. लोगों को बीमारियां घेरे रहती हैं, तरक्की बाधित होती है, पारिवारिक क्लेश और दुर्घटनाएं बढ़ती हैं. हालांकि ये पूरा सच नहीं है. अगर वास्तु के कुछ नियमों को ध्यान में रखते हुए दक्षिणमुखी मकान खरीदा जाए या बनवाया जाए तो ये आपके लिए काफी शुभ भी साबित हो सकता है.

जानिए क्यों माना जाता है अशुभ

दक्षिण दिशा को यमराज और यमदूतों की दिशा माना जाता है, साथ ही दक्षिण में ही मंगल का वास होता है जोकि अपने आप में काफी उग्र स्वभाव वाला ग्रह है. इसके अलावा दक्षिणी ध्रुव भी इसी दिशा में होता है, जिसका नकारात्मक प्रभाव हम पर पड़ता है. कहा जाता है कि जिस तरह दक्षिण में पैर करने से शरीर की ऊर्जा खिंच जाती है, उसी तरह दक्षिणमुखी मकान भी उस घर में रहने वालों की ऊर्जा खींच लेता है. मंगल ग्रह के प्रभाव से परिवार के सदस्यों में क्रोध बढ़ता है और आपसी झगड़े होते हैं. इसके अलावा यमराज की दिशा होने के कारण आकस्मिक मौत का भी भय रहता है.

ये उपाय दूर करेंगे अशुभ प्रभाव

1- जब भी आप दक्षिणमुखी प्लाट या घर लें तो ध्यान रखें कि उसका मुख्य द्वार हमेशा आग्नेय कोण यानी दक्षिण पूर्व दिशा में हो. इससे दक्षिण के नकारात्मक प्रभाव खत्म हो जाएंगे. याद रखें द्वार कभी भी नैऋत्य कोण यानी दक्षिण पश्चिम दिशा में न हो वर्ना मकान फलदायी नहीं होगा.

2- जब भी आप दक्षिणमुखी घर बनवाएं घर को जमीन से करीब एक से दो फुट ऊंचा कर बनवाएं. इससे दोष कम होगा. साफ सफाई के लिए थोड़ा ढाल देना चाहें तो उत्तर, पूर्व दिशा या ईशान कोण की ओर ही दें.

3- गंदे पानी की निकासी उत्तर या पूर्व दिशा में कभी न होने दें. बाउंड्री वॉल से सटा कर पूर्व ईशान से नाली बनाकर आग्नेय की ओर बहाव रखें या उत्तर ईशान से नाली बनाकर उत्तर की ओर निकालें.

4- घर के मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर लगाएं. साथ ही ध्यान रखें कि घर के सामने कुछ स्थान खाली रहे. यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने द्वार से दोगुनी दूरी पर नीम का हराभरा वृक्ष है, तो ये वास्तु प्रभावों को काफी हद तक कम कर देता है.

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