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लम्ब्रेटा स्कूट बनाने वाली कंपनी अब हो जाएगी बंद, जानिए ऐसा क्यों

Tara Tandi
20 Jan 2021 9:54 AM GMT
लम्ब्रेटा स्कूट बनाने वाली कंपनी अब हो जाएगी बंद, जानिए ऐसा क्यों
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एक जमाने का मशहूर लम्ब्रेटा स्कूटर और विक्रम टैंपो बनाने वाली कंपनी स्कूटर्स इंडिया को सरकार बंद करने की तैयारी कर रही है.

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | एक जमाने का मशहूर लम्ब्रेटा स्कूटर और विक्रम टैंपो बनाने वाली कंपनी स्कूटर्स इंडिया को सरकार बंद करने की तैयारी कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक होने वाली है. इस बैठक में उसे बंद करने पर फैसला हो सकता है. केंद्र सरकार पहले भी इसे बंद करने के बारे में बता चुकी है. आपको बता दें स्कूटर्स इंडिया में सरकार की 93.87 फीसदी हिस्सेदारी है. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी के शेयर में 5 फीसदी का ऊपरी सर्किट (जब शेयर को खरीदने वाले ही होते है और बेचने वाला नहीं होता है) लग गया है.

आइए इसकी दलचस्पी कहानी के बारे में जानते है…

स्कूटर इंडिया के बारे में एक दिलचस्प किस्सा अक्सर सुनाया जाता है. साल 1972 में पहली बार कंपनी लखनऊ पहुंची थी. इससे पहले इसका नाम इन्नोसेंटी था. यह पहले इटली के खूबसूरत शहर मिलान के नजदीक लैम्ब्रो नदी के पास लैम्ब्रेट में थी. फर्डिनेंडो इन्नोसेंटी के प्रयासों से 1922 में यह वजूद में आई. उन्होंने ही इसे इन्नोसेंटी नाम दिया था. प्रोडक्ट लम्ब्रेटा दुनियाभर में मशहूर हुआ था.

वहीं, दूसरी ओर भारत में आजादी के बाद प्राइवेट व्हीकल का चलन बढ़ने लगा. लेकिन आम लोगों के पास इतना पैसा नहीं था कि वह कोई छोटी सी कार भी खरीद सके. इसीलिए लम्ब्रेटा स्कूटर भारत आया. मुंबई स्थित एपीआई (ऑटो प्रोडक्ट्स इंडिया) ने लम्ब्रेटा को यहां असेंबल करना शुरू किया.

कुछ ही दिनों में भारत में लम्ब्रेटा स्कूटर इंडिया मिडिल क्लास फैमली में हिट हो गया. लेकिन 70 के दशक में जब इटली में घरेलू कर्मचारियों ने आर्थिक तंगी की वजह से आंदोलन शुरू कर दिया.

इसके बाद साल 1971 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से स्कूटर इंडिया लखनऊ में नया नाम देकर बसाने की सिफारिश की.

साल भर बाद यानी 1972 में भारत ने इटली से प्लांट व मशीनरी, डाक्यूमेंट और ट्रेडमार्क खरीद लिए गए. इसी के साथ उदय हुआ देसी ब्रांड स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड.

हर से करीब 16 किलोमीटर दूर कानपुर रोड के पास 147.49 एकड़ जमीन पर आठ अप्रैल 1973 को स्कूटर इंडिया की नीव पड़ी.

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शिलान्यास किया. यहां खासतौर पर तिपहिया विक्रम लैम्ब्रो बनाना मकसद था, लेकिन शुरुआत स्कूटर से हुई.

साल भर बाद ही यूनिट ने काम करना शुरू कर दिया. जल्द ही विजय डीलक्स और एक्सपोर्ट के लिए लम्ब्रेटा नाम से ही कॉमर्शियल उत्पादन शुरू हो गया.

अब स्कूटर इंडिया की स्थिति हुई गंभीर

कंपनी लगातार घाटे में काम कर रही है. बीती तिमाही में घाटा 6 करोड़ रुपये रहा है. बीती 5 तिमाही से कंपनी घाटे में है. इसीलिए केंद्र सरकार ने स्कूटर्स इंडिया को बंद करने का फैसला किया है. भारी उद्योग मंत्रालय ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है. इसकी सारी जमीन बेच दी जाएगी. इसकी ज़मीन उत्तर प्रदेश सरकार को वापस कर दी जाएगी. मशीन और प्लांट भी बेच दीजिए जाएंगे.

स्कूटर्स इंडिया के ब्रैंड को अलग से बेचा जाएगा. इसका पूरा खाका तैयार किया है. इसे बेचने की जिम्मेदारी एमएसटीसी को दी जाएगी. ये सरकारी कंपनी इसे बेचकर जो पैसा मिलेगा. उसका इस्तेमाल कर्मचारियों के VRS में होगा. बंद करने से पहले इसे शेयर बाजार से डीलिस्ट भी कराया जाएगा.

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