CHAMATKARI MANDIR RECIPE : जानिए ये चमात्कारी मंदिर के बारे में जिसमे है ये चमत्कारी घड़ा

Update: 2024-06-25 05:45 GMT
CHAMATKARI MANDIR : देश में कई ऐसे चमत्कारी मंदिर है जिनकी मान्यताएं लोगों के बीच है। आज भी कई ऐसी जगह है जो शोध का विषय बनी हुई। ऐसे में हम आपको आज राजस्थान के पाली जिले के एक ऐसे मंदिर के बारें में बताने वाले है जिसका इतिहास सैंकड़ो साल पुराना है। जी हां हम बात कर रहे हैं पाली के भटुड नामक गांव के शीतला मंदिर की। इस शीतला मंदिर में एक चमत्कारी घड़ा है जो आधा फीट गहरा और इतना ही चौड़ा है। खास बात यह है कि इस घड़े में लाखों लीटर पानी डालने के बावजूद भी यह घड़ा भरता नहीं है।
800 साल पुराना है मंदिर
माना जाता है कि यह मंदिर करीब 800 साल पुराना है। मंदिर में मौजूद इस चमत्कारी घड़े को साल में केवल 2 बार दर्शन के लिए खोला जाता है। करीब 800 साल से लगातार साल में केवल दो बार ये घड़ा सामने लाया जाता है। अब तक इसमें 50 लाख लीटर LAKH LITRE से भी अधिक पानी भरा जा चुका है। इसको लेकर मान्यता है कि इसमें कितना भी पानी डाला जाए, ये कभी भरता नहीं है। आज तक वैज्ञानिक भी अब तक इसका कारण नहीं पता कर पाए हैं।
यह है पौराणिक कथा
ऐसी मान्यता है कि आज से 800 साल पूर्व बाबरा नाम का राक्षस था। इस राक्षस के आतंक से ग्रामीण परेशान थे और यह राक्षस गाँव में ब्राह्मणों के घर में जब भी किसी की शादी होती तो दूल्हे को मार देता था। तब ब्राह्मणों ने शीतला माता की तपस्या की, इसके बाद शीतला माता गांव के एक ब्राह्मण के सपने में आई और उसने बताया कि जब उसकी बेटी की शादी होगी तब वह राक्षस को मार देगी। शादी के समय शीतला माता SHEETLA MATA एक छोटी कन्या के रूप में मौजूद थी। वहां माता ने अपने घुटनों से राक्षस को दबोच लिया।
राक्षस पीता है घड़े का पानी
जब शीतला माता ने राक्षस को मारने की कोशिश की माता की शक्ति SHAKTI के आगे असुर ने हार मान ली और मां से पाताल लोक भेजने का आग्रह किया। लेकिन उससे पहले उसने अपने प्यासे होने की बात कह कर पानी पिलाने का आग्रह किया और शीतला माता से वरदान मांगा कि गर्मी में उसे प्यास ज्यादा लगती है। इसलिए साल में दो बार उसे पानी पिलाना होगा। शीतला माता ने उसे यह वरदान दे दिया। तब से ही घड़े में जल डालने की पंरपरा की शुरु हो गई।
आज भी बना है रहस्य
इस मंदिर के पट जब भी खोले जाते हैं यहां माता के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। पूरे गांव की महिलाएं पूजा-अर्चना के बाद घड़े में पानी डालती हैं, लेकिन आज तक घड़ा नहीं भर पाया है। वो पानी आखिर जाता कहां है इस रहस्य का पता आज तक नहीं लग सका है। कहा जाता है कि घड़े का पूरा पानी राक्षस पी जाता है। लेकिन मान्यता है कि अगर पानी से भरे घड़े में जैसे ही मां के चरणों में चढ़ा हुआ दूध डाला जाता है, वैसे ही घड़ा भर जाता है। मंदिर में ये घड़ा सदियों से रखा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से माता की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इसके अलावा इस मंदिर की दिलचस्प बात यह है कि इस घड़े को लेकर वैज्ञानिक स्तर पर भी कई शोध हो चुके हैं, मगर घड़े में भरने वाला पानी कहां जाता है, यह कोई पता नहीं लगा पाया है। वर्ष में एक बार शीतला अष्टमी ASHTMI को यहां मेला भरता है जहां शीतला माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुचंते हैं।
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