समुद्र तट पर मिला लापता रूसी विमान का मलबा, सभी 28 यात्रियों की मौत

बड़ा हादसा

Update: 2021-07-06 15:25 GMT

रूस (Russia) की सरकारी विमानन एजेंसी ने बताया कि मंगलवार को सुदूर पूर्वी क्षेत्र कमचातका में लापता (Missing) हो गए उसके विमान का हिस्सा उस हवाईअड्डे के रनवे से पांच किलोमीटर दूर ओखोत्स्क समुद्र तट पर मिला है, जहां विमान को उतरना था. पेत्रोपावलोव्स्क-कमचात्स्की से पलाना शहर के लिए 22 यात्रियों और चालक दल (Crew) के छह सदस्यों के साथ उड़ान भरने वाला एंतोनोव एएन-26 विमान उतरने से पहले रडार के दायरे से गायब हो गया था और उसका संपर्क टूट गया था.


कमचातका के गवर्नर व्लादिमीर सोलोदोव ने इंटरफैक्स समाचार एजेंसी को बताया कि विमान का मुख्य हिस्सा समुद्र तट पर मिला, वहीं उसका बाकी टूटा-फूटा हिस्सा तट के नजदीक समुद्र में मिला. रूसी मीडिया की खबरों के अनुसार दुर्घटना में विमान में सवार 28 लोगों में से एक भी जीवित नहीं बचा.

विमान में नहीं थी कोई गड़बड़ी
विमान कामचत्का एविएशन एंटरप्राइज कंपनी से संबंधित था. रूसी सरकारी समाचार एजेंसी तास की खबर के अनुसार विमान 1982 से सेवा दे रहा था. कंपनी के निदेशक एलेक्सी खाबारोव ने इंटरफैक्स समाचार एजेंसी को बताया कि विमान में तकनीकी गड़बड़ी नहीं थी. सरकारी आरआईए नोवोत्सी समाचार एजेंसी की खबर के अनुसार कई जहाज भी विमान कों ढूंढ रहे थे.

विमान में सवार थे पलाना सरकार के प्रमुख
पलाना शहर ओखोत्स्क समुद्र तट पर स्थित है. कामचत्का सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि विमान उतरने वाला था लेकिन पलाना के हवाई अड्डे से लगभग 10 किलोमीटर (छह मील) दूर उससे संपर्क टूट गया. पलाना की स्थानीय सरकार के प्रमुख ओल्गा मोखिरेवा विमान में सवार थे. तास की खबर के अनुसार कामचत्का एविएशन एंटरप्राइज का एंतोनोव ऐन-28 विमान 2012 में पेट्रोपावलोव्स्क-कामचत्स्की से उड़ान भरने के दौरान पलाना में उतरने से पहले पर्वतीय इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.

रूस का कठिन मौसम विमानों के लिए चुनौती
उस हादसे में विमान में 14 लोग सवार थे जिनमें से 10 की मौत हो गई थी. घटना में मारे गए दोनों पायलटों के खून के नमूने में शराब के अंश मिले थे. कभी विमान से संबंधित दुर्घटनाओं के लिए जाने जाने वाले रूस ने पिछले कुछ सालों में अपने हवाई यातायात सुरक्षा में रिकॉर्ड सुधार किया है. हालांकि विमानों का खराब रखरखाव और सुरक्षा मानकों का निम्न स्तर अभी भी बरकरार है. इसके अलावा कठिन मौसम स्थिति वाले देश के अलग-अलग क्षेत्रों में उड़ान भरना भी काफी खतरनाक है.
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