दुनिया के सबसे खतरनाक रेल मार्ग, यात्रा के दौरान खौफ में होते हैं लोग

ज्यादातर लोग ट्रेन में यात्रा करना पसंद करते हैं। कहीं भी आने जाने के लिए ट्रेन आरामदायक और सस्ता परिवहन है

Update: 2021-09-26 05:02 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्यादातर लोग ट्रेन में यात्रा करना पसंद करते हैं। कहीं भी आने जाने के लिए ट्रेन आरामदायक और सस्ता परिवहन है। कई रूटों पर ट्रेन से यात्रा के दौरान लोगों को रोमांच का एहसास भी होता है। ट्रेन से पहाड़, जगल और नदियों समेत कई प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिलती है। प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही कई ऐसे रेल रूट हैं जिन पर यात्रा के दौरान डर भी लगता है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ रूटों के बारे में बताते हैं।  

दक्षिण अफ्रीका में केप टाउन मार्ग

दक्षिण अफ्रीका का एक ऐसा रेल मार्ग है जिससे यात्रा करने से लोग डरते हैं। जी हां केप टाउन रेलवे ट्रैक चोरी और हमलों की वजह से जाना जाता है। केप टाउन रेल मार्ग पर ट्रेनों में अक्सर चोरी और हमले की घटनाएं होती रहती हैं। इन हमलों और चोरी की वजह से हर दिन कोई न कोई ट्रेन रद्द की जाती है। 

भारत में चेन्नई-रामेश्वरम मार्ग

भारत में चेन्नई और रामेश्वरम को जोड़ने वाला रेल मार्ग दुनिया के सबसे खतरनाक और एडवेंचरस रेलवे रूट में से एक है। इस रूट को पवन ब्रिज के नाम से जाना जाता है। हिन्द महासागर के ऊपर बने पवन ब्रिज की लंबाई 2.3 किलोमीटर है। साल 1914 में इस ब्रिज का निर्माण हुआ था। जब समुद्र का जल स्तर बढ़ता है, तो यह रूट खरतनाक हो जाता है। 

अर्जेंटीना का सल्टा पोलवेरिलो रूट

अर्जेंटीना में एक रेलव मार्ग बेहद खतरनाक है। यह रेलवे रूट साल्टा को चिली पोलवेरिलो से जोड़ता है और इसकी लंबाई 217 किमी है।  यह जितना खतरनाक है उतना ही रोमांच से भी भरा है। इसका निर्माण 27 सालों में हुआ था और 1948 से इस रेल मार्ग पर ट्रेनों का आवागमन हो रहा है। इस रेल मार्ग में 29 पुल और 21 टनल हैं।

जापान का एसो मियामी मार्ग

जापान में अलास्का से व्हाइटहॉर्स, युकोन बंदरगाह को जोड़ने वाला व्हाइट पास और युकोन रेल मार्ग रोमांच से भरा हुआ है। इस रेल मार्ग में आपको प्रकृति की सुंदरता देखने को मिलती है। इस रूट पर ट्रेन तीन हजार फुट की चढ़ाई करती है जो काफी डरावना होता है। इसलिए यह रूट खतरनाक माना जाता है। 

इक्वाडोर का डेविल्स नोज 

यह रेल रूट समुद्र तल से नौ हजार फीट की ऊंचाई पर है। इस रेल मार्ग का निर्माण करीब 33 साल में पूरा हुआ था। यह 1872 में बनना शुरू हुआ और 1905 में बनकर तैयार हो पाया। पहाड़ की वजह से होने वाली समस्याओं को दूर के लिए सरकार ने इसका निर्माण कराया था। यह दक्षिण अमेरिका में इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना है।


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