अद्भुत: रात में समुद्रों के लार्वा से जुड़े रहस्यों को केमरों में कैद कर रहे गोताखोर, तस्वीरें देखकर वैज्ञानिक भी दंग
वहां इनका अध्ययन करना मुश्किल है और इस बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है।
इन दिनों कई देशों में समुद्री गोताखोर रात में मछलियों और बिना रीढ़ वाले समुद्री जीवों के लार्वा से जुड़े रहस्यों को अपने कैमरों में कैद कर रहे हैं।
इससे समुद्री वैज्ञानिकों को इन जीवों के शिशुकाल के बारे में कई नई जानकारियां हासिल हो रही हैं, जिसके लिए उन्होंने दशकों खपा दिए थे। कुछ विशेषज्ञों का तो कहना है कि अंधेरे में सामने आने वाले इन लार्वा से मछलियों का शुरुआती इतिहास भी जाना जा सकता है।
दरअसल, गोताखोर शाम ढलते ही सैंकड़ों फुट महासागरों में उतरकर गहराई से सतहों पर आने वाले लार्वा की तस्वीरें खींचते हैं, जिसे ब्लैक वाटर फोटोग्राफी कहा जा रहा है। अधिकांश लार्वा अंगुली के नाखून जितने भी नहीं होते लेकिन मैक्रो लैंसों से तस्वीरें उतारने पर ये बड़े दैत्याकार मछलियों से कम नजर नहीं आते। कुछ गोताखोर तो इसे पानी तले एनिमल सफारी का नाम दे रहे हैं।
वैज्ञानिक तस्वीरें देखकर रह गए दंग
ब्लैक वाटर फोटो ग्रुप से जुड़े मिलिसेन और उनके साथियों ने जब मछली वैज्ञानिकों को अपनी तस्वीरें दिखाईं तो वे हैरान रह गए। अनुभवी अंडरवाटर फोटोग्राफर नीड डेलोच बताते हैं कि जिन भी वैज्ञानिकों से वह मिले, सबने एक ही बात कही कि ये तस्वीरें उन्हें कहां से मिलीं। लोगों को भरोसा ही नहीं हुआ कि ऐसे जीव पानी के नीचे बसे हैं। तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
60 लार्वा का विश्लेषण
हाल ही में हवाई के वैज्ञानिकों द्वारा जर्नल ऑफ इक्थियोलॉजी एंड हर्पेटोलॉजी में प्रकाशित एक शोध पत्र में समुद्री शोध के लिए ज्यादा से ज्यादा ब्लैक फोटोग्राफरों से जुड़ने की उम्मीद जताई है।
वैज्ञानिकों का कहना है, अगर ये फोटोग्राफर इन छोटे-छोटे जीवों के नमूने हासिल कर लेते हैं तो इनके डीएनए निकालकर गहन विश्लेषण हो सकता है। अब तक एक दर्जन गोताखोरों के जरिए 60 नमूनों का विश्लेषण किया जा चुका है। जीवों की डीएनए बारकोडिंग करके इनके शरीर और व्यवहार में समय के साथ आने वाले बदलावों के बारे में पता लग पाएगा।
अभी बहुत कम जानकारी उपलब्ध
कई समुद्री कीड़ों, मेंढ़कों, मछलियों और बिना रीढ़ वाले जीवों की लार्वा और वयस्क अवस्था की संरचना और बर्ताव में बड़ा भेद होता है। जानकारों का कहना है कि कई समुद्री जीव लार्वा अवस्था में महासागरों में जहां घूमते हैं, वहां इनका अध्ययन करना मुश्किल है और इस बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है।