तालिबान के कारण खौफ में महिलाएं, यहां बुर्के की कीमतें बढ़ीं
बुर्के की कीमतें 10 गुना से ज्यादा बढ़ गईं हैं.
अफगानिस्तान (Afghanistan) में 20 साल बाद फिर से तालिबान (Taliban) सत्ता में आ गया है. तालिबान की वापसी होते ही लोगों में डर और खौफ साफ दिखने लगा है. जिन लोगों ने तालिबान का पहला शासन देखा था, वो जानते हैं कि ये कितना खतरनाक है. खासतौर से महिलाएं.
तालिबान की वापसी से सबसे ज्यादा खौफ में महिलाएं हैं. महिलाएं घरों से अकेले निकलने में डर रही हैं और इसी डर की वजह से वहां बुर्के (Burqa) की मांग बढ़ गई है. नतीजा ये हो रहा है कि वहां बुर्के की कीमतें आसमान छू रही हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, काबुल में बुर्के की कीमतें 10 गुना से ज्यादा बढ़ गईं हैं.
तालिबान के पहले शासन के दौरान महिलाओं को अपने शरीर और चेहरे को बुर्के से ढंकना पड़ता था. इतना ही नहीं, महिलाएं पुरुष रिश्तेदार के बिना घरों से भी नहीं निकल नहीं सकती थीं. 2001 में तालिबान राज के खत्म होने के बाद वहां महिलाओं को लेकर हालात सुधरने शुरू हुए थे. महिलाओं को भी पुरुषों की तरह काम करने की इजाजत थी, लेकिन तालिबान की वापसी ने फिर से 20 साल पीछे धकेल दिया है.
CNN ने काबुल की एक महिला को कोट करते हुए लिखा है कि उसके घर में सिर्फ एक या दो बुर्के हैं, जिसे उसे अपनी बहन और अपनी मां के साथ भी शेयर करना है. महिला का कहना है कि अगर उनके पास बुर्का नहीं होगा तो उन्हें खुद को ढंकने के लिए बेडशीट या किसी और का इस्तेमाल करना होगा.
वहीं, न्यूज एजेंसी AP को एक 25 साल की महिला ने बताया कि वो कई दिनों से घर से बाहर नहीं निकली हैं. उनका कहना है कि यहां की सड़कों पर सिर्फ गिनी-चुनीं महिलाएं ही दिख रही हैं. यहां तक कि महिला डॉक्टर भी घरों से निकलने में कतरा रही हैं.
उन्होंने बताया, 'मैं तालिबान के लड़ाकों का सामना नहीं कर सकती. उनको लेकर मेरे मन में अच्छी फीलिंग नहीं है. महिलाओं और लड़कियों को लेकर तालिबान की सोच को कोई बदल नहीं सकता. वो अब भी चाहते हैं कि महिलाएं घर पर ही रहें.'
उनका कहना है, 'मुझे नहीं लगता कि मैं बुर्का पहनने के लिए तैयार हो पाऊंगी. मैं इसे नहीं मान सकती. मैं अपने अधिकारों के लिए लड़ूंगी चाहे कुछ भी हो.'
तालिबान की ओर से महिलाओं की सुरक्षा का वादा किया है. तालिबान का कहना है कि महिलाएं काम पर जा सकती हैं और स्कूल भी जा सकती हैं. लेकिन महिलाओं को तालिबान की बातों पर भरोसा नहीं है.