जेंडर इक्वलिटी के लिहाज से आइसलैंड ने इतिहास रच दिया है। 63 सीटों वाली आइसलैंड संसद में 33 महिलाएं चुनी गई हैं। शनिवार को चुनाव के बाद, वहां की संसद में महिलाओं की भागीदारी 52% हो गई। इसी के साथ, आइसलैंड की संसद यूरोप में पहली ऐसी संसद बन गई जहां महिलाएं बहुमत में हैं। अभी तक यूरोप के किसी और देश की संसद में 50% महिलाएं भी नहीं हैं। सबसे करीब स्वीडन है जहां 47% महिला सांसद हैं। संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के पैमाने पर भारत की स्थिति मेक्सिको, क्यूबा, निकारगुआ, रवांडा जैसे देशों से भी गई-गुजरी है। भारत में PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार, कुल सांसदों में से 14% महिलाए हैं जो एक रेकॉर्ड है मगर अंतरराष्ट्रीय औसत करीब 22% का है।
पूरी दुनिया को रास्ता दिखा रहे आइसलैंड ने महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। 1980 में आइसलैंड ने एक महिला को राष्ट्रपति चुनकर इतिहास बनाया था। विगदिस फिनोबोगाडोटिर पूरी दुनिया में राष्ट्रपति के पद तक पहुंचने वाली पहली महिला बनीं। उससे काफी पहले, 1961 में आइसलैंड ने पुरुषों और महिलाओं को बराबर वेतन का कानून पास किया। वहां महिलाओं और पुरुषों, दोनों को पैरेंटल लीव मिलती है। मार्च में जारी वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की रिपोर्ट बताती है कि लैंगिक समानता के लिहाज से लगातार 12वें साल आइसलैंड सबसे आगे रहा है।