महिला को मिला 'मरने का अधिकार', 5 साल से लड़ रही थी इच्छा मृत्यु के लिए कानूनी लड़ाई, जानें क्यों
हर इंसान चाहता है कि उसकी उम्र इतनी ज्यादा हो कि वो सौ साल जी सके
हर इंसान चाहता है कि उसकी उम्र इतनी ज्यादा हो कि वो सौ साल जी सके. वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो अपना जीवन खत्म करना चाहते हैं. कुछ लोग जहां जिंदगी से दुखी होकर ऐसा कदम उठाना चाहते हैं. वहीं कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हें ऐसी बीमारियां या तकलीफें होती हैं जिनका कोई इलाज नहीं होता है. तकलीफें झेलते और दयनीय हालात में सालों रहने के बाद ऐसे लोग कोर्ट का दरवाजा खटखकटाते हैं क्योंकि ये सुसाइड नहीं करना चाहते.
अधिकतर देशों में सुसाइड और इच्छा मृत्यु को अपराध माना गया है. ऐसे में अपने जीवन से जूझते लोग कोर्ट में इच्छा मृत्यु के लिए अपील करते हैं. जहां तमाम पक्षों पर गौर करने के बाद अदालत अपना फैसला सुनाती है. ऐसे ही 44 साल की महिला को पेरू की सरकार ने मौत का अधिकार दिया है. ये महिला पिछले कई सालों से अपने 'मौत के अधिकार' के लिए लड़ रही हैं और आखिरकार पेरू की सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसले में उन्हें ये अधिकार मुहैया करा दिया है.
12 साल की उम्र से ही लाइलाज बीमारी से जूझ रही
एना एस्ट्राडा नाम की ये महिला साइकोलॉजिस्ट हैं और 12 साल की उम्र से ही वे एक लाइलाज बीमारी से जूझ रही हैं. एना पोलीमायोसिटीस से ग्रस्त हैं. ये एक रेयर बीमारी है जो किसी भी इंसान के मसल्स पर लगातार अटैक करती है. एना अपने दिन का ज्यादातर समय बेड पर बिताती हैं और सांस लेने के लिए रेस्पिरेटर का इस्तेमाल करती हैं. उन्होंने पांच साल पहले अपने लिए यूथनेशिया की मांग की थी.
यूथनेशिया कई देशों में गैर-कानूनी है. यही वजह है कि इस फैसले को कई मायनों में ऐतिहासिक बताया जा रहा है. पेरू की एक कोर्ट ने पिछले दिनों फैसला सुनाया था कि स्टेट हेल्थ मिनिस्ट्री ये सुनिश्चित करे कि एना जब भी मरने का फैसला करें तो उनके लिए दस दिनों के अंदर सभी कंडीशन्स मुहैया कराई जाएं. एना ने कहा कि 'भले ही ये एक व्यक्तिगत केस हो लेकिन मुझे उम्मीद है कि बाकी लोगों के लिए भी ये केस प्रेरणा बन पाएगा. मुझे लगता है कि ये ना सिर्फ मेरे लिए उपलब्धि है बल्कि पेरू में न्याय और कानून की भी बड़ी उपलब्धि है.