क्या शी जिनपिंग का तीसरा कार्यकाल दुनिया के एक नई मुसीबत लेकर आएगा, जानिए पूरी खबर

Update: 2022-10-25 11:15 GMT

वर्ल्ड अफेयर्स: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक बार फिर सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव चुने गए हैं। इस तरह से वे चीन के सर्वोच्च नेता के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल को आगे बढ़ाएंगे। शी जिनपिंग के एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने से यह बहस छिड़ गई है कि अब दुनिया को व्यापार, सुरक्षा और ह्यूमन राइट्स के मुद्दों पर और भी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञों का कहना है कि शी जिनपिंग जिस तरह से चीन में सख्त नियंत्रण रख रहे हैं और दूसरे देशों में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए आर्थिक कूटनीति का सहारा ले रहे हैं। उससे इन मुद्दों के हालात और कितने ज्यादा खराब हो सकते हैं इसका उदाहरण हम नेपाल और श्रीलंका के आर्थिक हालातों से समझ सकते हैं।

कई मुद्दों पर बढ़ सकता है विश्व में असंतुलन: इन बातों को नकारा नहीं जा सकता कि आज श्रीलंका की जो आर्थिक स्थिति हुई है उसमें चीन का बहुत बड़ा हाथ है। श्रीलंका ही नहीं न जाने कितने और देशों में चीन ने अपनी आर्थिक ताकत के जरिए उस देश को एक तरह से अपने ऊपर निर्भर कर रखा है। जिससे अगर उस देश को सकारात्मक या नकारात्मक परिणाम मिलते भी हैं तो दोनों ही स्थिति में फायदा चीन को होगा। अमेरिका तो हमेशा से चीन पर आरोप लगाता आया है कि चीन ने उसके गठबंधन, वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक नियमों को हमेशा कमजोर करने की ही कोशिश की है। तो ह्यूमन राइट्स को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी चीन पर कई बार आरोप लगाए हैं कि वहां की सरकार उइगर मुसलमानों का जिस तरह से उत्पीड़न कर रही है और इन आलोचनाओं से भी बचने के लिए वह मानवाधिकारों को बदलने की ही कोशिश कर रही है। यह तो साफ है कि चीन किसी इंसानियत को समझता है ना ही किसी मानवाधिकार को। हमें यहां पर शी जिनपिंग के उस वक्तव्य को भी नहीं भूलना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा था की विश्व की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो रही है। जिसका सिर्फ एक इलाज चीन है। वह जितना ज्यादा चीन और चीन की संस्कृति को वैश्विक मॉडल बनाकर पेश करेंगे, कोल्ड वॉर की तरह उतना ही संघर्ष और ज्यादा बढ़ेगा।

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