तालिबान को क्या मिल पाएगी दुनिया की मान्यता, अभी बरकरार है संशय
बड़े देशों की अफगानिस्तान में दिलचस्पी क्यों है। इसकी तीन वजहें हैं। पहला, आतंकवाद से मुकाबला। दूसरा प्राकृतिक संसाधन का भंडार और तीसरा मानवीय आपदा।
बड़े देशों की अफगानिस्तान में दिलचस्पी क्यों है। इसकी तीन वजहें हैं। पहला, आतंकवाद से मुकाबला। दूसरा प्राकृतिक संसाधन का भंडार और तीसरा मानवीय आपदा। वैसे इस दफा तालिबान उदार चेहरा दिखा रहा है, पर यह भी हकीकत है कि उसका अल कायदा से संपर्क कभी नहीं टूटा। आईएस-खुरासान भी नया खतरा बनकर उभरा है। सवाल यह है कि क्या तालिबान इससे निपट सकेगा या नहीं।
नए प्रशासन को ये बातें माननी होंगी
वैश्विक ताकतें तालिबान सरकार के स्वरूप और उसके व्यवहार का आकलन कर रही हैं। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने समावेशी और महिला, धार्मिक अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व वाली सरकार बनाने को कहा है। ईयू का कहना है, तालिबान का सबसे बड़ा मूल्यांकन मानव और महिला अधिकारों को लेकर होगा। देखना होगा कि वह आतंकी गुटों को जमीन का इस्तेमाल करने से रोक पाता है या नहीं।
मानवीय आधार पर जारी रहेगी सहायता
अफगान अर्थव्यवस्था केवल विदेशी मदद और खर्च पर निर्भर है , जो अब तालिबानी कब्जे के बाद ठहर गई है । ऐसे में उम्मीदें हैं कि आतंकी संगठन उदारवादी शासन की मांग को लेकर लचीला रहेगा।
अमेरिका और साथी देशों का कहना है, वे अफगान को मानवीय सहायता देते रहेंगे। अधिकांश मदद संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक के जरिये जाएगी, जो सीधी तालिबान के हाथ नहीं लगेगी।
अमेरिका समेत वैश्विक ताकतों को सबसे बड़ा लाभ तालिबान पर आतंकी प्रतिबंध का है, जो अतीत को देखते हुए जारी रहेंगे।
क्या संयुक्त राष्ट्र में सीट का दावा करेंगे
अभी आधिकारिक आवेदन दिया जाना बाकी है, जिसका अमेरिका समेत नौ देशों का समूह समीक्षा करेगा।
कूटनीतिज्ञों का मानना है कि तालिबान का ऐसा आवेदन अपरिपक्व होगा। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड का कहना है, हम अभी ऐसी स्थिति में नहीं हैं , जहां तालिबान को मान्यता दे दें ।
देश में रह गए पश्चिम के सहयोगी अफगानों की जिम्मेदारी कौन लेगा
इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। वैसे तो संयुक्त राष्ट्र और 97 देशों ने कहा है कि वे अफगानियों को बाहर निकालना जारी रखेंगे। वहीं, तालिबान द्वारा सरकार और अमेरिका की मदद करने वाले लोगों की ढूंढकर मारने की रिपोर्ट भी सामने आने लगी हैं, जिन्होंने चिंताएं बढ़ा दी हैं।