क्या दरारों और लीक्स को झेल पाएगा ISS? अंतरिक्ष में इसे 2030 तक 'जिंदा' रखेगा NASA

अंतरिक्ष में इसे 2030 तक ‘जिंदा’ रखेगा NASA

Update: 2022-01-02 10:10 GMT
NASA ने ये कदम तब उठाया है, जब इसने निजी कंपनियों को लाखों डॉलर दिए हैं, ताकि वे अपने स्पेस स्टेशन तैयार कर सकें. इसके पीछे का इरादा ISS की जगह इन स्पेस स्टेशनों का इस्तेमाल करना है. भले ही ISS को लंबे समय तक चलाने का इरादा किया जा रहा है, लेकिन इसमें आ रही दरारों और लीक्स को देखते हुए लंबे समय तक इसके टिके रहने पर सवाल खड़ा होता है.
राष्ट्रपति रोनाल्ड रेगन ने अपने 25 जनवरी 1984 को स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन के दौरान ISS के निर्माण की ऐलान की. इसे 10 साल के भीतर तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था. फिर 4 दिसंबर 1998 को स्पेस स्टेशन का पहला अमेरिकी कॉम्पोनेंट लॉन्च हुआ और दो साल बाद आधिकारिक तौर पर इसका ऑपरेशन शुरू हुआ. इसके बाद साल 2000 में ISS पूरी तरह से इस्तेमाल के लिए तैयार हो गया.
NASA के बिल शेपर्ड और रूस की यूरी गिडजेंको और सर्गेई क्रिकालेव 2 नवंबर, 2000 को स्टेशन पर पहुंचे. तीनों एस्ट्रोनोट्स ने कई महीनों तक स्पेस में वक्त गुजारा. इसके बाद से ही इंसान लगातार ISS पर रह रहे हैं. ISS मई 2009 में पूरी तरह से चालू हो गया जब इसने छह-व्यक्ति चालक दल की मेजबानी शुरू की. इसके लिए दो सोयूज लाइफबोट्स की जरूरत भी पड़ी.
अमेरिकी स्पेस एजेंसी के प्रशासक बिल नेल्सन ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन शांतिपूर्ण अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सहयोग का एक प्रकाशस्तंभ है. ये 20 सालों से अधिक से वैज्ञानिक, शैक्षिक और तकनीकी विकास के जरिए मानवता को लाभ पहुंचा रहा है. मुझे खुशी है कि बाइडेन-हैरिस प्रशासन 2030 तक स्टेशन को ऑपरेशनल रखने के लिए प्रतिबद्ध है.
NASA ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी, जापान की जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी, कनाडा की कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी और रूस की रोस्कोस्मोस के साथ ISS पर काम जारी रखने की योनजा बनाई है. इन अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के जरिए ISS को इस दशक के अंत तक ऑपरेशनल रखना है.
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