यूक्रेन के खिलाफ जंग के बाद 'विलेन' बन जाएंगे पुतिन? दुनिया की तो नहीं बस इनकी सुनते हैं राष्ट्रपति
नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने यूक्रेन पर हमला कर दुनिया के सामने नया संकट खड़ा कर दिया है. रूस को रोकने के लिए दुनिया के तमाम देशों की कोशिशें फेल होती जा रहीं हैं. रूस पर कई कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए हैं, उसके विमानों के लिए एयरस्पेस बंद कर दिया गया है, आर्थिक मोर्चे पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद पुतिन किसी की मान नहीं रहे. उल्टा पुतिन तो परमाणु हमले की धमकी तक दे रहे हैं.
ऐसे में सवाल ये है कि जब पुतिन दुनिया की नहीं सुन रहे तो आखिर सुनते किसकी हैं? दरअसल, पुतिन के एक खास सर्कल है जिसमें राजनेताओं, खुफिया एजेंसियों के अफसरों से लेकर मिलिट्री के दिग्गज शामिल हैं. पुतिन इन्हीं से सलाह ले रहे हैं और इन्हीं की सुन रहे हैं.
रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु (Sergei Shoigu) व्लादिमीर पुतिन के करीबियों में से एक हैं. पिछले साल सितंबर में जब पुतिन छुट्टियां मनाने गए थे, तब शोइगु भी उनके साथ थे. उन्हें पुतिन का उत्तराधिकारी भी माना जाता है. 2014 में रूस ने जब क्रीमिया पर जीत हासिल की थी, तब उस जीत का सेहरा शोइगु के सिर ही सजा था. शोइगु रूस की मिलिट्री इंटेलिजेंस एजेंसी के इनचार्ज भी रह चुके हैं. इस यूनिट पर 2018 में ब्रिटेन में और 2020 में साइबेरिया में नर्व एजेंट पॉइजनिंग के आरोप भी लग चुके हैं. राष्ट्रपति पुतिन जो भी फैसले लेते हैं, उसमें शोइगु की भूमिका अहम होती है.
वैलेरी गेरासिमोव (Valery Gerasimov) रूस की आर्मी के प्रमुख हैं. यूक्रेन पर हमला करने और उस पर जीत हासिल करने की जिम्मेदारी गेरासिमोव के पास ही है. 1999 में चेचेन्या वॉर में भी गेरासिमोव की अहम भूमिका थी. पुतिन ने उन्हें नवंबर 2012 में आर्मी का चीफ नियुक्त किया था. क्रिमिया पर कब्जे में भी इनकी भूमिका रही है. 2014 में यूक्रेन के मसले को लेकर यूरोपियन यूनियन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें प्रतिबंधित व्यक्तियों की लिस्ट में डाल दिया था. हाल ही में यूक्रेन में हमला होने के बाद अमेरिका ने भी उन्हें ब्लॉक लिस्ट में डाल दिया है.
निकोलाई पातरूशेव (Nikolai Patrushev) राष्ट्रपति के सबसे करीबी लोगों में से एक हैं. पातरूशेव और पुतिन 1970 के दशक से ही साथ हैं. पुतिन की तरह ही पातरूशेव भी सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी KGB में जासूस रहे हैं. पातरूशेव रूस की सुरक्षा एजेंसी FSB के प्रमुख भी रहे हैं. पातरूशेव 2008 से ही रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव हैं. 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के बाद यूरोपियन यूनियन ने भी पातरूशेव का नाम प्रतिबंधित व्यक्तियों की लिस्ट में डाल दिया था. अमेरिका ने भी अप्रैल 2018 में पातरूशेव को प्रतिबंधित कर दिया था.
एलेक्जेंडर बोर्तनिकोव (Alexander Bortnikov) रूस की खुफिया एजेंसी FSB के प्रमुख हैं. 2008 में पातरूशेव ने जब FSB को छोड़ा, तब से बोर्तनिकोव के पास ही इसकी कमान है. पातरूशेव की तरह ही है बोर्तनिकोव भी पुतिन के साथ दशकों से जुड़े हैं. बोर्तनिकोव भी KGB में जासूस रहे हैं. मई 2008 में उन्हें FSB का प्रमुख बनाया गया था. यूक्रेन पर हमला करने के बाद अमेरिका ने जिन रूसी नागरिकों पर प्रतिबंध लगाया है, उनमें बोर्तनिकोव और उनके बेटे भी शामिल हैं.
सर्गेई नारिश्किन (Sergey Naryshkin) रूस के कारोबारी और राजनेता हैं. वो 2016 से फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विस के डायरेक्टर हैं. नारिश्किन 1990 के दशक से ही पुतिन के साथ हैं. पातरूशेव और बोर्तनिकोव के साथ-साथ नारिश्किन भी पुतिन के सबसे भरोसेमंद हैं. क्रीमिया पर कब्जे के बाद अमेरिका ने नारिश्किन को भी प्रतिबंधित कर दिया था, जिसे बाद में हटा लिया गया था. जनवरी 2018 में नारिश्किन ने अमेरिका की यात्रा भी की थी.
सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) 2004 से ही रूस के विदेश मंत्री हैं. लावरोव रूस के सबसे सीनियर डिप्लोमैट में से एक हैं. श्रीलंका में स्थित सोवियत संघ की एंबेसी से उन्होंने अपना करियर शुरू किया था. वो संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थायी प्रतिनिधि भी रह चुके हैं. मार्च 2014 में जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया तब लावरोव ने सुझाव दिया कि यूक्रेन को अब भी आजाद हो जाना चाहिए. लावरोव सीरिया में अमेरिकी सेना के आने का विरोध भी करते रहे हैं. ईरान, तुर्की और रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों की खुलकर आलोचना भी करते रहे हैं.
पुतिन के इनर सर्किल में वैलेन्तीना मातवियेंको (Valentina Matviyenko) एकमात्र महिला हैं. वैलेन्तीना भी पुतिन के साथ दशकों से हैं. कहा जा रहा है कि वैलेन्तीना की वजह से ही रूस के ऊपरी सदन ने यूक्रेन पर हमले की मुहर लगाई. वैलेन्तीना ने 2014 में क्रीमिया के रूस में विलय में पुतिन की मदद की थी. वैलेन्तीना सेंट पीटर्सबर्ग की गवर्नर भी रही हैं. पुतिन भी सेंट पीटर्सबर्ग से ही आते हैं.
विक्टर जोलोतोव (Viktor Zolotov) पुतिन के सबसे वफादारों में से एक हैं. जोलोतोव कभी पुतिन के बॉडीगार्ड हुआ करते थे, लेकिन आज नेशनल गार्ड के डायरेक्टर हैं. जोलोतोव भी पुतिन के साथ 1990 के दशक से साथ हैं. 2000 से 2013 तक जोलोतोव रूस के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की सिक्योरिटी के चीफ रहे हैं. अप्रैल 2016 में उन्हें नेशनल गार्ड का प्रमुख नियुक्त किया गया. अप्रैल 2018 में अमेरिका ने 23 रूसी नागरिकों पर प्रतिबंध लगाया था, उनमें विक्टर जोलोतोव का नाम भी शामिल था.