8 महीने बाद राजनीति में वापसी करेंगे पूर्व प्रधानमंत्री शिन्जो आबे? जानिए सच्चाई
तो सुगा आबे के जमाने में हुए घोटालों का इस्तेमाल उन्हें रोकने के लिए कर सकते हैं।
पिछले साल लंबे समय तक जापान के प्रधानमंत्री रहे शिन्जो आबे ने जब सेहत खराब होने के कारण इस्तीफा दिया, तब यही माना गया था कि उनके राजनीतिक जीवन का अंत हो गया है। लेकिन सिर्फ आठ महीने बाद वे राजनीति में वापसी की तैयारियों में जुटे हैं। इस बीच उनकी सेहत काफी सुधर चुकी है। टोक्यो के अखबार जापान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट को मुताबिक आबे सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के कंजरवेटिव युवा समर्थकों के बीच अपना आधार वापस पाने के लिए कई तरह की गतिविधियों में लगातार शामिल हो रहे हैं।
लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आबे के लिए तुरंत अपनी पुरानी हैसियत हासिल कर पाना आसान नहीं होगा। उनके सत्ता से हटाने के बाद उनकी सरकार के कई घोटालों का पर्दाफाश हुआ है। इसके अलावा एलडीपी पर अब नया नेतृत्व काबिज हो चुका है। वह आसानी से फिर से आबे को सत्ता सौंपने को तैयार नहीं होगा। गौरतलब है कि इस साल ही एलडीपी के नए अध्यक्ष का चुनाव होना है। उसके बाद इसी साल आम चुनाव भी होंगे। विश्लेषकों का कहना है कि इसके बीच अधिक से अधिक आबे अपने समर्थकों को पार्टी और संसद में अधिक जगहें दिलवाने में कामयाब हो सकते हैं।
इसके बावजूद आबे के समर्थक पिछले एक महीने से काफी सक्रिय हैं। एलडीपी के कंजरवेटिव नेताओं के एक गुट ने पिछले महीने आबे को अपना सलाहकार नियुक्त किया। आबे की समर्थक और पूर्व रक्षा मंत्री तोमोमी इनादा ने जापान टाइम्स से कहा- 'मैंने आबे से सलाहकार बनने को कहा, क्योंकि मेरी राय में एलडीपी की कंजरवेटिव विचारधारा को पुनर्निर्मित करने यही सबसे उचित तरीका है।'
इसके कुछ ही दिन बाद आबे और इनादा ने मिल कर डियेट (जापानी संसद) के सदस्यों का एक गुट बनाया, जिसका मकसद जापान में परमाणु संयंत्रों के निर्माण और पुराने संयंत्रों की मरम्मत के लिए समर्थन जुटाना है। इनादा को इस गुट का अध्यक्ष और आबे को सलाहकार बनाया गया है। विश्लेषकों का कहना है कि ऐसी गतिविधियों के पीछे आबे का मकसद राष्ट्रीय चर्चा में वापस आना है, ताकि वे सियासत में वापसी की जमीन तैयार कर सकें।
इनादा के नेतृत्व वाले कंजरवेटिव गुट को संबोधित करते हुए आबे ने कहा- 'एलडीपी एक कंजरवेटिव पार्टी है। मैं आप सबसे कहना चाहता हूं कि अगर पार्टी का नेतृत्व किसी अलग दिशा में जा रहा हो, तो उसके खिलाफ कदम उठाने की भावना आपमें होनी चाहिए।' पर्यवेक्षकों के मुताबिक आबे के ऐसे बयानों से उनके इरादों के बारे में अटकलों को बल मिला है। कुछ पर्यवेक्षकों ने तो यहां तक अनुमान लगाया है कि मुमकिन है कि आबे पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में उम्मीदवार बन जाएं। इसमें वे जीते, तो फिर आम चुनाव में उनके प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।
रित्सुमिकान यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्री मासातो कामीकुबो ने जापान टाइम्स से कहा- 'आबे की हाल की गतिविधियां उनके और इनादा जैसी उनके विचारधारात्मक मित्रों के लिए फायदेमंद हैं। इनादा जैसी युवा दक्षिणपंथी नेताओं की एलडीपी के भीतर बहुत कम ताकत है। पार्टी में सुधारवादियों या अधिक उदार सोच वाले नेताओं की शक्ति अधिक है। कंजरवेटिव खेमे में बहुत कम मजबूत नेता हैं। इसलिए इसलिए कंजरवेटिव खेमे को आबे की जरूरत है, जबकि आबे को इस गुट की आवश्यकता है।'
एलडीपी में अब ज्यादातर सदस्य मध्यमार्गी हैं। पार्टी में अब एक वामपंथी रुझान वाला गुट भी सक्रिय हो गया है। कामीकुबो के मुताबिक इसी कारण शहरी और वामपंथी रुझान वाले मतदाता अब विपक्षी पार्टियों के बजाय एलडीपी को ही वोट दे रहे हैं। अपनी कमजोर पड़ती ताकत की वजह से ही एलडीपी के कंजरवेटिव या दक्षिणपंथी नेताओं ने फिर से आबे से संपर्क किया।
इसे मुमकिन है कि आबे ने राजनीति में अपनी नई पारी का मौका समझा हो। लेकिन प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा अब उनके लिए जगह खाली करेंगे, ये संभावना कम है। जानकारों का कहना है कि अगर आबे अधिक सक्रिय हुए, तो सुगा आबे के जमाने में हुए घोटालों का इस्तेमाल उन्हें रोकने के लिए कर सकते हैं।