क्या हमारे साथ ही रहेगा कोरोना वायरस? पढ़ें पूरी खबर

कोरोना महामारी खत्म होगी या नहीं?

Update: 2021-09-15 08:27 GMT

Covid 19 End Prediction Worldwide: कोरोना महामारी खत्म होगी या नहीं? क्या हमें इस बीमारी के साथ ही जीना होगा? आखिर कब तक खत्म होगा यह वायरस? पिछले डेढ़ साल से महामारी की मार झेलते लोगों के मन में ये सवाल कौंध रहे हैं. हर कोई यह जानने को बेताब है कि आखिर यह महामारी कब और कैसे खत्म होगी.

मास्क (Mask) पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) और लॉकडाउन (Lockdown) लगने-हटने के साथ वैश्विक महामारी कोविड-19 के करीब 18 महीने बीत चुके हैं. कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने दुनियाभर के देशों को बुरी तरह प्रभावित किया है और अब तीसरी लहर की भी आशंका जताई जा रही है.
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया के एक्सपर्ट पॉल हंटर और अन्य विशेषज्ञों ने रिसर्च जर्नल द कन्वरसेशन में प्रकाशित एक स्टडी में कहा है कि इस बारे में कुछ भी पक्के तौर पर कहना मुमकिन नहीं है. हालांकि कुछ हद तक वास्तविक लगने वाली उम्मीदों को जगाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं कि यह महामारी आगे आने वाले समय में किस तरह से बढ़ेगी.
चौथी-पांचवीं लहरों के साथ आती रही रूसी फ्लू महामारी
यह पहली बार नहीं है जब कोई कोरोना वायरस एक भयानक वैश्विक महामारी का कारण बना हो. यह अनुमान लगाया गया है कि 'रूसी फ्लू', जो 1889 में सामने आया था, वास्तव में इन्फ्लूएंजा नहीं था, बल्कि एक अन्य कोरोना वायरस, ओसी-43 (oc43) के कारण हुआ था.
रूसी फ्लू वैश्विक महामारी पांच वर्षों तक करीब चार या पांच लहरों के साथ आती रही जिसके बाद यह गायब हो गई. इंग्लैंड और वेल्स में 1890 से ले कर 1891 तक इसके कारण सबसे ज्यादा मौतें हुईं. संभावित कारण, ओसी43 का प्रसार आज भी देखने को मिलता है लेकिन इससे गंभीर बीमारी होना दुर्लभ है.
अभी रहने वाला है Sars-Cov-2
मौजूदा साक्ष्य दिखाते हैं कि कोविड-19 फैलाने वाला सार्स-सीओवी-2 (Sars-Cov-2) भी अभी रहने वाला है. यह निष्कर्ष वायरस पर काम कर रहे कई वैज्ञानिकों ने कुछ महीने पहले निकाला था. न तो टीके न ही प्राकृतिक संक्रमण वायरस को फैलने से रोक पाएगा.
वैक्सिनेशन भले ही वायरस संक्रमण प्रसार को घटाते हैं, लेकिन वे वायरस को पूरी तरह खत्म करने के लिए संक्रमण को उच्चतम स्तर पर पूरी तरह नहीं रोक पाते हैं. डेल्टा स्वरूप के सामने आने से पहले, हमने टीके की दोनों खुराकें ले चुके लोगों को भी वायरस से संक्रमित होते और इसे दूसरों में फैलाते देखा है. वायरस के अन्य स्वरूपों की तुलना में टीकों के डेल्टा स्वरूप से निपटने में कम प्रभावी होने के कारण, टीकाकरण के बाद भी संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है.
एक अवधि के बाद खत्म होने लगती है इम्यूनिटी
वैक्सीन की दूसरी खुराक मिलने के कुछ हफ्तों के भीतर संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी कम होने लगती है. और चूंकि संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता न तो पूर्ण है और न ही स्थाई, इसलिए 'हर्ड इम्युनिटी' (Herd Immunity) असंभव है. इसका मतलब यह है कि कोविड-19 के स्थानिक होने की संभावना है, जिसमें दैनिक संक्रमण दर घटना इस बात पर निर्भर करती है कि पूरी आबादी में कितनी इम्यूनिटी है.
3 से 6 साल में बार-बार संक्रमण फैलाते हैं वायरस
अन्य ह्यूमन कोरोना वायरस हर तीन से छह साल में औसतन बार-बार संक्रमण का कारण बनते हैं. यदि सार्स-सीओवी-2 उसी तरह से व्यवहार करता है, तो इसका मतलब है कि ब्रिटेन में 16.6 प्रतिशत और एक-तिहाई लोगों यानी 1.1 से 2.2 करोड़ लोग औसतन हर साल या 30,000 से 60,000 लोग एक दिन में संक्रमित हो सकते हैं. लेकिन यह उतना डरावना नहीं है जितना लगता है.
हां, उभरते हुए रिसर्च यह दर्शाते हैं कि रोगसूचक कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरक्षा सुरक्षा कम होती दिख रही है. गंभीर बीमारी से सुरक्षा (जो या तो टीकाकरण या प्राकृतिक संक्रमण से उत्पन्न होती है) बहुत अधिक समय तक चलने वाली होती है. नए स्वरूपों का सामना करने पर भी यह कम होती नहीं दिखती है.
कई महामारियों का हुआ हैं अंत
कोविड-19 कैसे समाप्त होगा, यह एक देश से दूसरे देश में अलग होगा. यह काफी हद तक इम्यून लोगों के अनुपात पर निर्भर करता है और महामारी की शुरुआत के बाद से कितना संक्रमण हुआ है (और कितनी प्राकृतिक प्रतिरक्षा का निर्माण हुआ है).
ब्रिटेन और अन्य देशों में जहां अधिकांश आबादी को टीका लग चुका है और पिछले मामलों की संख्या भी अधिक है, वहां के ज्यादातर लोगों में वायरस के प्रति किसी न किसी प्रकार की प्रतिरक्षा होगी।
वायरस हमारे बीच रहेगा पर बीमारी बन जाएगी इतिहास
पूर्व प्रतिरक्षा वाले लोगों में, यह देखा गया है कि कोविड-19 कम गंभीर होता है. और जैसा कि प्राकृतिक रूप से दोबारा संक्रमण या बूस्टर टीकाकरण द्वारा समय के साथ अधिक लोगों की प्रतिरक्षा को बढ़ाया जाता है, हम नए संक्रमणों के बढ़ते अनुपात को बिना लक्षण वाले या सबसे खराब स्थिति में हल्की बीमारी करने वाला मान सकते हैं. वायरस हमारे बीच रहेगा, लेकिन बीमारी हमारे इतिहास का हिस्सा बन जाएगी.
लेकिन जिन देशों में पहले बीमारी के अधिक मामले नहीं दिखे हैं वहां ज्यादातर लोगों को टीका लगने के बाद भी, बहुत से लोग अतिसंवेदनशील बने रहेंगे. फिर भी, रूसी फ्लू से महत्वपूर्ण सबक यह मिलता है कि आने वाले महीनों में कोविड-19 का असर कम हो जाएगा, और यह कि अधिकांश देश निश्चित रूप से महामारी के सबसे बुरे दौर से गुजर चुके हैं. लेकिन यह अब भी महत्वपूर्ण है कि दुनिया की शेष कमजोर आबादी को टीके की पेशकश की जाए.
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