बांग्लादेश में भी होगा श्रीलंका जैसा हाल? क्योंकि ...

Update: 2022-05-16 10:29 GMT

नई दिल्ली: भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है. देश की मुद्रा में भारी गिरावट आई है और विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया है. इसी बीच खबर है कि पड़ोसी देश बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार भी खत्म होता जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में जरूरी वस्तुओं, कच्चे माल और ईंधन, सामान ढुलाई आदि की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से बांग्लादेश पर बुरा प्रभाव पड़ा है. जुलाई से मार्च की अवधि में बांग्लादेश के आयात खर्च में 44 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

बांग्लादेश के अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिस तेजी से बांग्लादेश का आयात खर्च बढ़ा है, उस हिसाब से निर्यात से होने वाली आय नहीं बढ़ी है. इससे व्यापार घाटा बढ़ा है और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ा है.
व्यापार घाटा पिछले कई महीनों से धीरे-धीरे बढ़ रहा है और बांग्लादेश ने आयात खर्च का भुगतान करने के लिए देश में जमा डॉलर की बिक्री जारी रखी है.
बस पांच महीने ही आयात का खर्च वहन कर पाएगा बांग्लादेश
बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार खाली होता जा रहा है. देश में जितनी विदेशी मुद्रा बची हुई है, उससे अगले पांच महीनों तक ही आयात का खर्च वहन किया जा सकता है. अगर वैश्विक बाजार में कीमतें और बढ़ती हैं तो बांग्लादेश का आयात खर्च और बढ़ेगा और विदेशी मुद्रा भंडार पांच महीने से पहले भी खत्म होने की उम्मीद है.
फिलहाल बांग्लादेश के पास 42 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) बांग्लादेश पर लगातार दबाव बना रहा है कि वो अपने विदेशी मुद्रा भंडार की सही गणना करे. यदि बांग्लादेश आईएमएफ के इस निर्देश का कड़ाई से पालन करता है, तो निर्यात क्रेडिट फंड, सरकारी परियोजनाओं, श्रीलंका को दी गई राशि और सोनाली बैंक (बांग्लादेश का सरकारी बैंक) में जमा राशि को छोड़कर, बाकी के विदेशी मुद्रा भंडार की गणना करनी होगी.
माना जा रहा है कि इस गणना के बाद बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में 7 अरब डॉलर की कमी आ जाएगी.
खत्म होते विदेश मुद्रा भंडार के बीच बांग्लादेश को अब भी एक उम्मीद की किरण दिख रही है. बांग्लादेश को निर्यात से होने वाली आय में वृद्धि का सिलसिला जारी है. चालू वित्त वर्ष के जुलाई-अप्रैल में घरेलू कपड़ा व्यापार, कृषि उत्पादों, चमड़े और चमड़े के उत्पादों के निर्यात से बांग्लादेश की आय 1 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई है. वहीं, जूट और जूट उत्पादों से होने वाली निर्यात आय भी करीब एक डॉलर है.
बांग्लादेश अगर ये सुनिश्चित करता है कि निर्यात में किसी तरह का भ्रष्टाचार न हो और कोई अवैध तरीका न अपनाया जाए तो निर्यात से होने वाले विदेशी आय में तेजी आएगी. इससे बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने से बच जाएगा, भले ही आयात खर्च में वृद्धि जारी रहे.
इस बीच, बांग्लादेश के बैंक ने मौजूदा डॉलर संकट से निपटने के लिए लग्जरी उत्पादों के आयात पर रोक लगाने के लिए कई प्रयास किए हैं. शेख हसीना सरकार ने भी सरकारी अधिकारियों की विदेश यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया है. बांग्लादेश के अधिकारी तुलनात्मक रूप से कम जरूरी परियोजनाओं के अस्थायी निलंबन पर भी विचार कर रहे हैं.
अर्थशास्त्रियों ने सरकार के कदमों का समर्थन किया है और कहा कि संकट के बदतर होने से पहले आपातकालीन आधार पर कुछ और सख्त उपायों की जरूरत है.
बांग्लादेश अपने उद्योगों के कच्चे माल के लिए आयात पर आश्रित है और सबसे अधिक आयात उद्योगों के कच्चे माल का ही करता है. इसके बाद उपभोक्ता वस्तुओं का आयात सबसे ज्यादा होता है. बांग्लादेश के आयात चार्ट पर ईंधन तेल का स्थान पांचवा है.
वित्त वर्ष 2021-22 की जुलाई-मार्च अवधि में 22 अरब अमेरिकी डॉलर के औद्योगिक कच्चे माल का आयात किया गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 54 प्रतिशत अधिक है.
देश में ईंधन आयात पर खर्च में सबसे अधिक 87 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है क्योंकि वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तीन तिमाहियों में ईंधन पर खर्च बढ़कर 5.4 अरब डॉलर हो गया.
इसके अलावा, उपभोक्ता उत्पादों की आयात लागत में 41 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पूंजीगत मशीनरी की आयात लागत में 42 प्रतिशत और उत्पादन के लिए इस्तेमाल होने वाले सामानों/ मशीनों में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई. कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2022 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान देश का आयात खर्च 44 प्रतिशत बढ़ गया है.
बैंकरों का कहना है कि आयात लागत में वृद्धि का मतलब आयात की मात्रा में वृद्धि नहीं है. हालिया उछाल वैश्विक बाजार में बढ़ी हुई शिपिंग लागत और उपभोक्ता वस्तुओं में भारी उछाल के कारण है जिसके जल्दी कम होने की संभावना नहीं है.
बैंकरों का कहना है कि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार को चाहिए कि वो आयात होनेवाली वस्तुओं पर कड़ी निगरानी रखे ताकि आयात-निर्यात की आड़ में होनेवाली मनी लॉन्ड्रिंग को नियंत्रित किया जा सके और आयात लागत को नियंत्रण में रखा जा सके.
बांग्लादेश के सरकारी बैंक और सरकार ने देश को किसी भी संभावित आर्थिक संकट से बचाने के लिए कड़े कदम उठाने जारी रखे हैं. लग्जरी कारों और इलेक्ट्रॉनिक घरेलू उपकरणों के आयात के लिए ओपनिंग लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) के लिए नकद मार्जिन को बढ़ाकर 75 फीसदी कर दिया गया है. अब एक व्यवसायी को एक करोड़ रुपये की कार विदेश से आयात करने के लिए 75 लाख रुपये पहले जमा करने होंगे. बांग्लादेश बैंक को उम्मीद है कि इन पहलों से आयात खर्च में कमी आएगी.
कोविड-19 महामारी की मार से बांग्लादेश का निर्यात पूरी तरह उबर चुका है. वित्त वर्ष 2022 के लिए देश का वार्षिक निर्यात लक्ष्य केवल दस महीनों (जुलाई-अप्रैल) में पूरा हो गया है. बांग्लादेश ने वित्त वर्ष 2022 के पहले दस महीनों में 43.34 अरब अमेरिकी डॉलर के उत्पादों का निर्यात किया, जब वार्षिक निर्यात लक्ष्य 43.50 अरब अमेरिकी डॉलर था. इस अवधि के दौरान, निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में 35 प्रतिशत बढ़ा है.
लेकिन इस अवधि के दौरान विदेशी आय में 16 फीसदी की गिरावट आई है. बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि कोविड-19 के कारण जब संचार सेवाएं बाधित थीं तब सभी प्रवासी बांग्लादेशियों ने वैध चैनलों के माध्यम से देश में पैसा भेजा.
लेकिन अब स्थिति बदल गई है. बैंक और खुले बाजार की डॉलर की कीमतों के बीच का अंतर 8 रुपये से अधिक हो गया है, जो प्रवासियों को घर भेजने के लिए अवैध साधनों को चुनने पर मजबूर कर रहा है जिससे देश की विदेशी मुद्रा कम हो रही है.
केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 की जुलाई-अप्रैल की अवधि में प्रवासियों ने 17.3 अरब डॉलर देश में भेजा, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 26.6 अरब डॉलर था.
व्यापार घाटे के कारण बांग्लादेश को अपने रिजर्व विदेशी मुद्रा भंडार का 5.2 अरब डॉलर खर्च करना पड़ा है जिससे ये कम होता जा रहा है. डॉलर के मुकाबले बांग्लादेश की मुद्रा टका में भी गिरावट दर्ज की गई है. केंद्रीय बैंक ने टका-डॉलर की विनिमय दर 86.7 टका निर्धारित की है और बैंक आयातकों से प्रत्येक डॉलर के लिए 95 टका वसूल रहे हैं. इस कारण उपभोक्ता उत्पादों सहित आयातित वस्तुओं की कीमत में वृद्धि हुई.
बांग्लादेश बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ सालेहुद्दीन अहमद ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार पर मौजूदा दबाव चिंता का विषय है. स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों सहित कई समस्याओं के कारण आयात लागत में वृद्धि हुई. आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ने से लोगों पर दबाव बना हुआ है. उन्होंने कहा, 'मुझे समझ में नहीं आता कि सरकार ऐसी स्थिति में हाई ग्रोथ की उम्मीद कैसे कर रही है.' 
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