वैज्ञानिक मंगल पर जाने को लेकर इतने जुनूनी क्यों हैं?ये 26 यान भी कर रहे हैं दिलचस्प खोज
चंद्रमा के बाद अब मंगल ग्रह के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है
Solar System and Space Exploration: चंद्रमा के बाद अब मंगल ग्रह के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है. पिछले महीने, चीन ने मंगल ग्रह पर जूरोंग रोवर को सफलतापूर्वक उतारा और तैनात किया. इस तरह वह लाल ग्रह की सतह पर रोवर उतारने वाला दूसरा देश बन गया (MARS Mission). पिछले साल अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात और चीन ने पृथ्वी से कम दूरी के कारण यात्रा पर लगने वाले अपेक्षाकृत कम समय का फायदा उठाते हुए मंगल पर अपने मिशन भेजे.
अब सवाल यह पैदा होता है कि ग्रहों पर शोध करने वाले अधिकांश वैज्ञानिक मंगल पर जाने को लेकर इतने जुनूनी क्यों हैं? इसपर ऑस्ट्रेलिया के आरएमआईटी विश्वविद्यालय के भौतिकी में वरिष्ठ व्याख्याता गेल आइल्स का कहना है, इस एक ग्रह पर इतना समय और पैसा क्यों खर्च किया जा रहा है, जबकि हमारे सौर मंडल में कम से कम सात अन्य ग्रह, 200 से अधिक चंद्रमा, अनगिनत क्षुद्रग्रह, और इसके अलावा और भी बहुत कुछ है (Solar System Missions).
इस वक्त 26 अंतरिक्ष यान सक्रिय
खुशी की बात यह है कि हम अंतरिक्ष में अन्य स्थानों पर भी जा रहे हैं और हमारे सौर मंडल में बहुत ही रोमांचक स्थानों जैसे बर्फ के ज्वालामुखी, बर्फीले मलबे के छल्ले और विशाल चुंबकीय क्षेत्र के लिए बहुत सारे मिशन हैं. वर्तमान में हमारे सौर मंडल के चारों ओर 26 सक्रिय अंतरिक्ष यान हैं (Active Solar Sytem Exploration). कुछ अन्य ग्रहों और चंद्रमाओं की परिक्रमा कर रहे हैं, कुछ अन्य दुनिया की सतहों पर उतरे हैं और कुछ केवल चित्र लेने के लिए अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे है. उनमें से केवल आधे ही मंगल पर जा रहे हैं.
वोएजर 1 और 2 जैसे यान शामिल
इन 26 अंतरिक्ष यान में दीर्घकालिक मिशन पर निकले वोएजर 1 और 2 जैसे यान शामिल हैं- जो पिछले 40 से अधिक वर्षों से काम कर रहे हैं और अब सौर मंडल को छोड़कर कहीं तारों के बीच विचरण कर रहे हैं. और इनमें कुछ ऐसे अंतरिक्ष यान भी हैं, जिनके बारे में हम कम जानते हैं, लेकिन इनके बारे में जानना दिलचस्प है (NASA Solar Sytem Exploration). उदाहरण के लिए, बृहस्पति के चारों ओर कक्षा में चक्कर लगाने वाले जूनो अंतरिक्ष यान को लें. इसे 2011 में लॉन्च किया गया और यह लगभग पांच साल बाद बृहस्पति की कक्षा में पहुंचा.
जूनो ने मिशन की अवधि पार की
यह अब अपने चुंबकीय क्षेत्र, वायुमंडलीय स्थितियों सहित विशाल ग्रह के विभिन्न गुणों को माप रहा है और यह निर्धारित कर रहा है कि बृहस्पति के वायुमंडल में कितना पानी है (Solar Sytem Exploration NASA). इससे वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि कौन से ग्रह के निर्माण का सिद्धांत सही है (या नए सिद्धांतों की आवश्यकता है). जूनो अपने मिशन की सात साल की अवधि को पार कर चुका है और इसे कम से कम 2025 तक बढ़ा दिया गया है.
धरती पर भेजा गया था नमूना
खगोल गति विज्ञान के सबसे जटिल करतबों में से एक पिछले साल के अंत में पूरा हुआ था, जब जापानी अंतरिक्ष एजेंसी (जेएएक्सए) ने ना केवल एक क्षुद्रग्रह पर एक अंतरिक्ष यान उतारा, बल्कि एक शानदार प्रयास के तहत वहां का नमूना भी धरती पर भेजा (Solar Sytem Exploration). जापान के इस यान जिसका नाम वहां पाए जाने वाले एक बाज के नाम पर हायाबुसा 2 पर रखा गया है, ने 2018 में क्षुद्रग्रह 162173 रयुगु की सतह पर कदम रखा, सतह का सर्वेक्षण किया और नमूने लिए.
हायाबुसा 2 ने किया इंजनों का उपयोग
2019 में वापसी के दौरान, हायाबुसा 2 ने अपने आयन इंजनों का उपयोग कक्षा को बदलने और पृथ्वी पर लौटने के लिए किया. पांच दिसंबर 2020 को हैटबॉक्स के आकार और 16 किलोग्राम वजन का एक कैप्सूल नमूने के साथ पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर गया और ऑस्ट्रेलिया के वूमेरा टेस्ट रेंज में आ गिरा (Solar Sytem Exploration NASA Planets). इधर जेएएक्सए ने रयुगु क्षुद्रग्रह से एकत्रित चट्टानों और धूल का विश्लेषण शुरू किया है और उधर हायाबुसा 2 एक बार फिर अपनी यात्रा पर है और इस बार वह दूसरे क्षुद्रग्रह, 1998 केवाय (26), 2031 से मुलाकात करने की ठानकर निकला है.
पहली सूची में शामिल नहीं थे कुछ ग्रह
कुछ ऐसे ग्रह हैं, जिन्हें ग्रहों के मिशनों की सूची में पहले शामिल नहीं किया गया था, ये ऐसे अंतरिक्ष यान हैं जो हमारे सौर मंडल के भीतर 'गुरुत्वाकर्षण कुओं' में फंस गए हैं. यह कक्षाओं में विशेष स्थान पर होते हैं, जिन्हें लैग्रेंजियन बिंदु कहा जाता है और जो दो अंतरिक्ष पिंडों के बीच गुरुत्वाकर्षण के लिहाज से संतुलन का काम करते हैं. सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला (एसओएचओ) पृथ्वी और सूर्य के बीच लैग्रेंजियन बिंदु के करीब मौजूद चार अंतरिक्ष यान में से एक है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर (चंद्रमा से लगभग चार गुना अधिक) दूर है.
शुक्र ग्रह पर शुरू होंगे दो मिशन
यह सूर्य की बाहरी परत और सौर हवा का अवलोकन करता है, संभावित विनाशकारी अंतरिक्ष मौसम की पृथ्वी पर प्रारंभिक चेतावनी भेजता है. अब हमारे एक लड़ाकू पड़ोसी ग्रह शुक्र की बात करते हैं. सतह पर बढ़ते तापमान और दबाव के बावजूद, नासा ने हाल ही में शुक्र और उसके वातावरण की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए दो बड़े मिशनों के लिए धन की मंजूरी दी है. ऊपरी वायुमंडल में फॉस्फीन गैस की खोज ने जीवन वैज्ञानिकों को यह विश्वास दिलाया है कि अधिक ऊंचाई वाले अधिक रहने योग्य और ठंडे तापमान पर जीवन मौजूद हो सकता है.
जीवन की तलाश की जाएगी
मंगल ग्रह पर इनजेनिटी हेलीकॉप्टर की सफल उड़ान ने उत्साह बढ़ाया है. यह दूसरी दुनिया में किसी भी संचालित विमान की पहली उड़ान है. नासा का ड्रैगनफ्लाई मिशन शनि के बर्फीले चंद्रमा, टाइटन के वातावरण में एक ड्रोन उड़ाएगा (Solar Sytem Exploration Missions). 2026 में लॉन्च होने और 2034 में पहुंचने के बाद, रोटरक्राफ्ट टाइटन पर दर्जनों स्थानों पर उड़ान भरेगा और उन परिस्थितियों की तलाश करेगा जो पृथ्वी के समान जीवन के अनुकूल हों.
तो इस सब पर कितना खर्च होता है?
सरकारें अपने बजट की अपेक्षाकृत कम मात्रा विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए आवंटित करती हैं. देश आमतौर पर अपने बजट का 1 फीसदी से भी कम अंतरिक्ष मिशन पर खर्च करते हैं- सामाजिक सेवाओं या सैन्य रक्षा से बहुत कम (Solar Sytem Exploration Mars). यह तय करना कि कौन से अंतरिक्ष मिशन को धन प्राप्त होगा, यह अक्सर सार्वजनिक हित से प्रेरित होता है.
सांस रोककर देखा गया था वीडियो
यह निश्चित रूप से तय करना कि कौन सी जांच या अंतरिक्ष यान सबसे अधिक सफल परिणाम देगा, लगभग असंभव है (Solar System and Space Exploration). जब इंसान ने पहली बार चंद्रमा पर कदम रखा, तो दुनिया की 25 फीसदी आबादी ने सांस रोककर वह वीडियो देखा, जिसने दशकों तक अंतरिक्ष खोजकर्ताओं की कई पीढ़ियों को प्रेरित किया. आप उसकी कोई कीमत नहीं लगा सकते.