भूरे और हरे रंग में ही क्यों मिलती हैं बीयर की बोतलें, बड़े-बड़े दारुबाज भी नहीं जानते जवाब
अलावा हरे रंग को बीयर तक नहीं पहुंचने दे रही थी. ऐसे में इसे ही चुना गया. तब से लेकर अब तक बीयर की बोतल हरे और भूरे रंग में ही अवेलेबल होती है.
एल्कोहल का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है. इसके सेवन से कई तरह की बीमारियां इंसान को अपनी चपेट में ले लेती है. लेकिन इसके बावजूद लोग शराब का सेवन करते हैं. एल्कोहल में भी किसी को रम पसंद होता है तो कोई व्हिस्की का शौक़ीन होता है. किसी को बीयर पसंद होती है. आज हम शराब से जुड़ा एक मजेदार सवाल आपसे करने जा रहे हैं. अगर आप शराब का सेवन नहीं भी करते हैं, तब भी आपने नोटिस किया होगा कि बीयर की बोतल हमेशा हरे या फिर भूरे रंग की होती है. लेकिन क्या आपने कभी इसकी वजह जानने की कोशिश की है?
हाल ही में एक इंडिपेंडेंट सर्वे में ये बात सामने आई थी कि शराब पीने वाले सौ लोगों में से अस्सी को बीयर पसंद होती है. लोग बीयर पीते हैं लेकिन शायद ही किसी ने नोटिस किया हो कि इसकी बोतल हमेशा हरे या भूरे रंग की ही होती है. इसका क्या कारण है? क्यों बीयर को कभी सफ़ेद या किसी अन्य रंग की बोतल में पैक नहीं किया जाता? आज हम आपको इसी सवाल का जवाब बताने जा रहे हैं.
दूसरे रंग की बोतलों से नुकसान
बीयर की बोतल हरे या भूरे रंग के होने के पीछे ख़ास कारण है. जानकारी के मुताबिक़, आज से कई साल पहले बीयर की बोतलें इजिप्ट में बनाई जाती थी. यहां पहले तो बीयर को ट्रांसपेरेंट बोतलों में बना कर सर्व किया जाता था. इस दौरान बीयर बनाने वाली कंपनियों ने नोटिस किया कि जब इन ट्रांसपेरेंट बोतलों में सूर्य की रोशनी पड़ती थी, तब अंदर भरा एसिड रोशनी में मौजूद अल्ट्रा वायलेट रेज की वजह से तेजी से रियेक्ट करता था. इसकी वजह से बीयर पीने से कई तरह के नुकसान होने लगे और लोगों ने इससे दुरी बनानी शुरू कर दी. इस कारण बीयर कंपनियों को काफी नुकसान होने लगा.
निकाला ऐसा उपाय
जब बीयर कंपनियों को नुकसान होने लगा, तो उन्होंने इस समस्या के समाधान के लिए कई उपाय निकाले. लेकिन कोई भी उपाय कारगर साबित नहीं हुआ. ऐसे में उन्होंने इसकी बोतलों पर भूरे रंग की कोटोंग चढ़ानी शुरू की. ये उपाय काम कर गया. भूरे रंग की बोतलों में रखा बीयर खराब नहीं होता था. यानी इस रंग की वजह से सूरज की रोशनी बोतल में बंद लिक्विड तक नहीं पहुंच पाती थी. लेकिन इसके कुछ ही समय बाद जब सेकंड वर्ल्ड वॉर हुआ, तब बीयर कंपनियों के सामने एक और समस्या आ गई. उस समय भूरे रंग की बोतलों का अकाल पड़ गया. इस रंग की बोतलें मिलनी बंद हो गई. ऐसे में फिर नए रंग की बोतल बनानी पड़ी. सूरज की रोशनी भूरे के अलावा हरे रंग को बीयर तक नहीं पहुंचने दे रही थी. ऐसे में इसे ही चुना गया. तब से लेकर अब तक बीयर की बोतल हरे और भूरे रंग में ही अवेलेबल होती है.