WHO ने युद्ध के प्रभावों पर रिपोर्ट की जारी, रूस-यूक्रेन की जंग से किस तरह तबाह हो रही जिंदगियां

इन हालात में यूक्रेन में इन दोनों के फैलने का खतरा बढ़ गया है.

Update: 2022-03-07 10:58 GMT

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही वॉर का सोमवार को 12वां दिन है. दोनों देशों की जंग में अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं. साथ ही करोड़ों रुपये की संपत्ति तबाह हो चुकी है.

युद्ध के प्रभावों पर WHO की रिपोर्ट
इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने युद्ध के प्रभावों पर रिपोर्ट जारी की है. जिससे युद्द को समस्याओं का विकल्प मानने वाले देशों को सावधान हो जाना चाहिए. Emergency in Ukraine– Situation Report 1, नाम से जारी इस रिपोर्ट में यूक्रेन में स्वास्थ्य सुविधाओं के ध्वस्त होने की जानकारी है. साथ ही इसमें ये भी बताया गया है कि यूक्रेन का आम नागरिक कैसे बर्बादी के कगार पर खड़ा है. ये रिपोर्ट 24 फरवरी से 5 मार्च 2022 के हालात के आधार पर तैयार की गई है.
रिपोर्ट में सामने आए ये आंकड़े
रिपोर्ट के मुताबिक युद्ध (Russia Ukraine War) शुरू होने के बाद से अब तक 1 करोड़ 80 लाख लोगों के जीवन पर बुरा असर पड़ चुका है. 24 फरवरी 2022 से 4 मार्च के बीच 802 आम नागरिक घायल हो चुके हैं. जंग में 553 लोग घायल हुए और 249 की जान जा चुकी है. जान बचाने के लिए 1 लाख 60 हजार को अपना घर छोड़ना पड़ा है. 12 लाख से ज्यादा लोग दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हो चुके हैं. UNHCR के मुताबिक जुलाई 2022 तक यूक्रेन के 40 लाख निवासी शरणार्थी कहलाए जाएंगे.
यूक्रेन के निवासी इन देशों में ले रहे शरण
पोलैंड – 6,49,903
स्लोवाकिया – 90,329
हंगरी – 1,44, 738
रोमानिया – 57,192
मॉल्डोवा – 1,03,254
अन्य यूरोपीय देश – 1,10,876
यूक्रेन में हेल्थ सेंटर हुए बर्बाद
रिपोर्ट में सामने आया कि यूक्रेन (Ukraine) के तीन बड़े ऑक्सीजन प्लांट बंद हो चुके हैं. 200 हेल्थ केयर सेंटर ऐसे शहरों में हैं, जहां युद्द चल रहा है. यूक्रेन की सरकार के मुताबिक उसके तमाम शहरों में कई हेल्थ फेलिसिटी बर्बाद हो चुकी हैं. पोलेंड में एक रीजनल 'Humanitarian Hub'बनाकर काम चलाया जा रहा है. लेकिन यूक्रेन में हेल्थ केयर स्टाफ भी अस्पतालों तक पहुंचने की स्थिति में नहीं है.
दवाओं की हो रही है किल्लत
यूक्रेन (Ukraine) में जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सुविधाएं जैसे तैसे मिल पा रही हैं. घायलों का इलाज करने में भी बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. हर शहर में कर्फ्यू के हालात हैं, दवाओं की किल्लत है और रेट बढ गए हैं. टूटी सड़कें, ट्रांसपोर्ट का ना होना, पेट्रोल डीज़ल की कमी, इन सबकी वजह से इलाज करना मुश्किल हो चुका है. कोविड सेंटर्स को बदलकर अब वहां घायलों का इलाज किया जा रहा है. यूक्रेन में पहले से हेल्थ केयर के लिए जरुरी बुनियादी ढांचा जैसे मेडिकल उपकरण, ट्रेंड स्टाफ की कमी रही है. इसके चलते स्थिति अब ओर विकट हो चुकी है.
पोलियो-टीबी फैलने का खतरा
यूक्रेन में 2021 में पोलियो का आउटब्रेक हुआ था. उससे निपटने के लिए फरवरी 2022 में यूक्रेन में 6 महीने तक के बच्चो के लिए पोलियो टीकाकरण शुरु किया गया था. जो जंग शुरू होने से एक बार फिर अधर में लटक गया है. यूक्रेन (Ukraine) में टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस भी एक बड़ा मसला है. इन हालात में यूक्रेन में इन दोनों के फैलने का खतरा बढ़ गया है.


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