डब्ल्यूएचओ ने युगांडा को इबोला से निपटने के लिए दो मिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त राशि दी
कंपाला: विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस ने इबोला से लड़ने के लिए युगांडा को अतिरिक्त 2 मिलियन डॉलर की मदद देने की घोषणा की। इससे तीन हफ्तों में कुल सहायता राशि 3 मिलियन डॉलर हो गई है।
गेब्रेयेसस ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर बताया कि यह धनराशि युगांडा की सरकार को इबोला रोकने में मदद के लिए दी गई है। उन्होंने कहा, "हमारी टीमें निगरानी, प्रयोगशालाओं, अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण, इलाज केंद्रों और शोध कार्य में सहायता कर रही हैं।"
30 जनवरी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1 मिलियन डॉलर की मदद दी थी और साथ ही इबोला से बचाव के लिए परीक्षण वैक्सीन भी उपलब्ध कराई थी। सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने युगांडा की सरकार ने इबोला फैलने की आधिकारिक घोषणा की थी। यह तब हुआ जब कंपाला स्थित मुलागो नेशनल रेफरल हॉस्पिटल में काम करने वाले 32 वर्षीय नर्स की इबोला से मृत्यु हो गई।
युगांडा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बुधवार तक देश में इबोला के 9 मामले पुष्टि हो चुके हैं, जिनमें से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है। इसके अलावा, पहले संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए 265 लोगों की निगरानी की जा रही है। इबोला एक गंभीर वायरल बीमारी है, जो इबोला वायरस से फैलती है। शुरुआत में इसके लक्षण सामान्य फ्लू जैसे होते हैं, लेकिन बाद में तेज उल्टी, रक्तस्राव और दिमाग व तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
यह वायरस चमगादड़ों, बंदरों और हिरणों से इंसानों में फैल सकता है। इसके बाद यह इंसानों के बीच संपर्क से तेजी से फैलता है और महामारी का रूप ले सकता है। आमतौर पर यह अफ्रीका के कुछ हिस्सों में ही फैलता है।
इबोला दुर्लभ बीमारी है, लेकिन 1976 में जब इसे जायरे (अब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो) में पहली बार देखा गया था, तब से यह कई बार फैल चुका है। सबसे बड़ा इबोला प्रकोप 2014-2016 में हुआ था, जिसमें 10 देशों में 28,646 लोग संक्रमित हुए और 11,323 लोगों की मौत हो गई थी।