नासा के हेलीकॉप्टर को लाल ग्रह में 13 सफल उड़ानों के बाद क्या होगी दिक्कत
इन हालात के लिए नहीं किया था परीक्षण
नासा (NASA) के पर्सिवियरेंस रोवर के साथ मंगल (Mars) पर गए उसके इंजेन्युटी हेलीकॉप्टर (Ingenuity Helicopter) ने 13 उड़ाने पूरी कर ली है. अपने इंजेन्युटी 14वीं उड़ान की तैयारी में है, लेकिन उससे पहले उसके सामने एक नई चुनौती सामने आ गई है. इस बार मंगल का मौसम उसे परेशान करने वाला है. इसमें कोई तेज हवा या तूफान नहीं बल्कि कम होता वायुमंडलीय घनत्व समस्या खड़ी कर सकता है. नासा ने खुद इसकी जानकारी दी है. नासा की पर्सिवियरेंस रोवर टीम का कहना है कि मंगल पर ऐसा मौसम आ रहा है जब हवा का घनत्व कम हो रहा है जिससे इंजेन्युटी को उड़ान भरने में दिक्कत होगी.
नासा के जेट प्रपल्शन लैब के इस हेलीकॉप्टर को अब तक उड़ने में ऐसी समस्या नहीं आई थी जैसी अब आ रही है. पिछले सप्ताह दिए गए बयान में कहा गया है कि मंगल पर छह महीने बाद अब ग्रह ऐसे मौसम में जा रहा है जब जजीरो क्रेटर में हवा का धनत्व बहुत ही ज्यादा नीचे गिर रहा है. नासा का अनुमान है कि आने वाले महीनों में मंगल की हवा का घनत्व 0.012 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर तक जा सकता है. पृथ्वी के घनत्व का 1प्रतिशत होता है.
इन हालात के लिए नहीं किया था परीक्षण
पर्सिवियरेंस इस साल फरवरी के महीने में मंगल पर उतरा था. इंजेन्युटी हेलीकॉप्टर उसी के साथ गया था जिसने अपनी पहली उड़ान अप्रैल महीने में भरी थी. नासा ने यह भी बताया कि मंगल के इस वायुमंडलीय घनत्व में बदलाव ऐसा जिस का परीक्षण इंजेन्युटी के लिए पृथ्वी पर नहीं किया गया था. गणनाओं के मुताबिक नासा ने मंगल पर पर्सिवियरेंस के उतरने के पहले कुछ महीनों में ही इंजेन्युटी की पांच उड़ान के अभियान की उम्मीद की थी.
केवल इस घनत्व के लिए किया गया तैयार
इसीलिए इंजेन्युटी को केवल 0.0145 से लेकर 0.0185 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर धनत्व में ही उड़ान के लिए तैयार किया गया था, जो पृथ्वी के 1.2-1.5 प्रतिशत घनत्व है. फिर भी हाल में हुए वायुमंडलीय दबाव इंजेन्युटी की 14वीं उड़ान पर असर करेंगे. वायुमंडल का यह बदलाव सीथे इंजेन्युटी की उड़ने की क्षमता को प्रभावित करेगा.
यह आएगी समस्या
न्यूनतम घनत्व के लिए हेलिकॉप्ट की थ्रस्ट मार्जिन कम से कम 30 प्रतिशत है. थ्रस्ट मार्जिन वह वह अतिरिक्त बल है जो इंजेन्युटी उड़ने के लिए लगने वाले बल से ज्यादा लगा सकता है. यह उड़ान शुरु करने और चढ़ाई करने और कठिन भौगोलिक हालात में हेलीकॉप्टर की उड़ान ऊपर नीचे करने में काम आता है. वर्तमान हालात में इंजेन्युटी की थ्रस्ट स्तर 8 प्रतिशत तक नीचे जा सकता है.