नई दिल्ली: रूसी फौज तो कीव में दाखिल नहीं हो पाई.. लेकिन आसपास के इलाके में वो छोड़ गयी है विनाश का पूरा साजो-सामान. रूसी फौज के जाने के बाद यूक्रेन की सेना चप्पे-चप्पे की जांच में जुटी हैं, कि कहीं रूस के सैनिक विस्फोटक छोड़कर तो नहीं चले गए.
पूरी दुनिय़ा की निगाहें तो इस वक्त बूचा पर हैं लेकिन यूक्रेन अपने आप में कई बूचा को समेटे हुए है. मोताइझिन गांव से जो रिपोर्ट सामने आ रही है, उसने सभी को अंदर तक झकझोर दिया है. यहां जमीन के भीतर से शव मिल रहे हैं. रूसी फौज के जाने के बाद जब लोग यहां पहुंचे तो जमीन के अंदर दबाए गए शवों को देखकर सकते में आ गए.
यहां की भयावह हालात के बारे में स्थानीय निवासी आइहोर ने बताया है कि उस गड्ढे में मेरे परिवार वालों के शव पड़े हैं. मुझे नहीं पता उन्हें क्यों मारा गया. वो तो अच्छे लोग थे, शांति में विश्वास रखने वाले लोग थे.
जैसे-जैसे यूक्रेनी फौज इलाकों को अपने कब्जे में लेती जा रही, रूसी फौज के अत्याचारों का खुलासा होता जा रहा है. कीव से ही सटे होसटोमेल एयरपोर्ट की तस्वीर तो और भी भयावह है. एयरपोर्ट के हैंगर में लगे तमाम विमानों का रूसी हमले में खस्ताहाल हो चुका है. भारी आर्टिलरी हमले में मृया समेत तमाम विमान जलकर बर्बाद हो गए. मृया विमान अपने साथ ढाई सौ टन सामान ढोने की क्षमता रखती थी,लेकिन तीन बिलियन डॉलर से भी महंगा ये विमान अब इस्तेमाल लायक नहीं रह गया.
चालीस दिन की जंग में रूस ने यूक्रेन को लगभग नेस्तनाबूद कर दिय़ा है. शहर-शहर विनाश. नाटो में जाने की जेलेंस्की जिद की यूक्रेन को इतनी महंगी कीमत चुकानी होगी, शायद ही किसी ने सोचा था. अब जब इस स्तर की बर्बादी हो चुकी है तो जेलेंस्की सिर्फ सवाल पूछ रहे हैं, वे अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं.
जेलेंस्की पूछ रहे हैं... क्या यही है पुतिन का स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन जो था तो यूक्रेन की सेना के खिलाफ था... क्या हुआ पुतिन के उन दावों का जिसने रिहायशी इलाकों को श्मशान बना दिया... वो सनक जिसने सड़कों पर बेकसूर लोगों की लाशें बिछा दी. जेलेंस्की के मुताबिक रूसी फौज ने सिर्फ बूचा में ही नहीं बल्कि पूरे यूक्रेन में बड़े पैमाने पर नरसंहार किया है. उनके मुताबिक 80 साल पहले हिटलर की नाजी फौज ने जितना जुल्म नहीं किया था वो पुतिन की फौज ने कर डाला है