ट्रंप प्रशासन में अधर में लटकी बंद करने की योजना
राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में इस जेल में पांच कैदी शेष हैं। ट्रंप के पद ग्रहण करने के पूर्व यह उम्मीद की जा रही थी कि इन्हें रिहा कर दिया जाएगा, लेकिन बाद यह योजना अधर में लटक गई। सैन्य आयोग के समक्ष सात कैदियों के मामले लंबित हैं। इसमें पांच आरोपी 11 हमलों के योजना के लिए दोषी हैं। इसके अतिरिक्त दो कैदी हैं जिन्हें सैन्य आयोग ने दोषी ठहराया गया है। तीन को 2002 के बाली बम विस्फोट के संभावित अभियोजन का सामना करना पड़ा था।
ओबामा ने इस जेल को दुनिया की सबसे महंगी जेल करार दिया
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस जेल को दुनिया की सबसे महंगी जेल करार दिया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां हर कैदी पर सालाना 9 लाख डॉलर यानी 5.6 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। इसके अलावा पेंटागन इसके रखरखाव पर हर साल लगभग 9 अरब रुपये से ज्यादा खर्च करता है। बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल में कहा था कि वे कांग्रेस में ग्वांतानामो बे जेल को बंद करने का प्रस्ताव रखेंगे। उन्होंने कहा कि यदि इसे मंजूदी नहीं दी गई तो वह अपने वीटो पॉवर का इस्तेमाल करेंगे। हालांकि, ऐसा उनके कार्यकाल में ऐसा नहीं हो सका था। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक उस वक्त अलग-अलग देशों के 107 कैदी अभी भी इस जेल में बंद थे। लगभग 780 लोग कैदी इस जेल की हवा खा चुके हैं। इनमें से 664 कैदियों को दूसरी जेलों में शिफ्ट किया गया था। 11 सितंबर
2001 के आतंकी हमलों के बाद अस्तित्व में आई जेल
बता दें कि अमेरिका में 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमलों के बाद तत्कालीन बुश प्रशासन ने अफगानिस्तान और इराक के अलावा दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से सैकड़ों संदिग्ध आतंकवादियों को पकड़कर क्यूबा स्थित अमेरिका जेल ग्वांतानामो बे में बंद कर रखा है। वर्ष 2002 में क्यूबा स्थित अमेरिकी सैनिक अड्डे ग्वांतानामो बे जेल में बंद कैदियों की तस्वीरें पहली बार सार्वजनिक हुईं थीं। इनमें कैदियों को बेडि़यों में जकड़ा हुआ था। जेल में ज्यादातर वे लोग हैं, जिन्हें अमेरिकी सरकार चरमपंथी नेता घोषित कर चुकी है। तस्वीरों के सामने आने के बाद दुनियाभर में इसकी निंदा हुई थी। इंटरनेशनल और रेड क्रॉस ने इन कैदियों से मानवीय व्यवहार की मांग की थी।