नेक्रोफिलिया आखिर है क्या ? कब्र में भी महफूज नहीं होती लड़कियां
उनके साथ की जाती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हाल ही में पाकिस्तान से एक रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना सामने आई थी । पाकिस्तान की हालात ऐसे हो चुके हैं कि परिवारवालें अपनी महिलाओं की कब्र पर ताला लगाने को मजबूर हो गए हैं क्योंकि देश में नेक्रोफिलिया यानी मरे हुए लोगों के साथ यौन संबंध बनाने के मामले इन दिनों दिन प्रति दिन बढ़ते ही जा रहे हैं।
दरअसल, नेक्रोफीलिया एक तरह की मानसिक अवस्था है जिसमें जीवित व्यक्तियों को किसी शव के साथ यौन संबंध बनाने से गुरेज नहीं करते। लेकिन इस दौरान एक बात जो सोचने पर मजबूर कर रही है, वह यह है कि कैसे कोई एक शव के साथ शारारिक संबंध बना सकता है? इस मानसिकता में आखिर ऐसा क्या होता है, जो लोग इस हद तक गिर जाते हैं।
दरअसल पाकिस्तान बीमार है बहुत बीमार और इस बीमारी का नाम है नेक्रोफीलिया …. अब आप सोच रहे होंगे की अब ये नेक्रोफीलिया क्या है।
एक बीमारी ऐसी भी जानिए क्या है नेक्रोफिलिया ?
नेक्रोफीलिया दरअसल एक घिनौना मनोविकार यानी मेंटल डिसऑर्डर कहा गया है. इस विकार से ग्रस्त व्यक्ति मृत लोगों के शवों के साथ यौन संबंध बनाकर सुख प्राप्त करता है. नेक्रोफीलिया शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है जिसमें नेक्रो का मतलब है शव और फीलिया यानी प्यार. इस प्रकार ग्रीक भाषा में नेक्रोफीलिया का अर्थ होता है
मृत लोगों के साथ यौन संबंध बनाकर सुख लेना. पिछले कुछ दिनों में इसके कई मामले सामने आए हैं जिसमें नेक्रोफीलिया से पीड़ित लोगों ने मृत युवतियों के शव को कब्र से निकाल कर उनके साथ यौन संबंध स्थापित किया है. इसी डर से लोग अपनी मृत बेटियों की कब्र पर ताले लगा रहे हैं ताकि मरने के बाद उनकी बेटी के शरीर की दुर्गति ना हो सके.
पहला मामला
नेक्रोफीलिया बीमारी का पहला मामला 1948 में कैलिफोर्नियां में मिला था. इसका मरीज करीब 50 महिलाओं की हत्या करके उनके शव के साथ यौन संबंध बना चुका था.
पाकिस्तान में अब तक का सबसे डरावना नेक्रोफीलिया का मामला 2011 में सामने आया था, जब कराची के उत्तरी नजीमाबाद के मुहम्मद रिजवान नाम के एक शख्स को महिलाओं की 48 लाशों के साथ बलात्कार करने की बात कबूल करने के बाद गिरफ्तार किया गया था। रिजवान को एक लाश को कब्र से खींच कर भागते हुए पकड़ा गया था। रिजवान उस कब्रिस्तान में कब्र खोदने का काम करता था।
यह मानसिक बीमारी कैसे ठीक होगी
इस बीमारी के उपचार के लिए इस बीमारी के ग्रसित व्यक्ति को ऐसे ही ट्रीट किया जाता हैं जैसे सभी मानसीक बीमारी वाले लोगों को, क्योंकि अभी तक यह मानसिक बीमारी ज्यादा लोगों में नहीं पाई गई हैं इसलिए अभी तक इसका कोई प्रभावी उपचार सामने नहीं आया हैं।