रूस पर भारत के रुख पर क्या है जर्मनी की राय, राजदूत ने खुलकर दिया मुश्किल सवालों का जवाब
यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia-Ukraine War) का आज छठा दिन है. इस बीच रूस का एक बहुत बड़ा सैन्य काफिला 'कीव' की तरफ बढ़ रहा है.
यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia-Ukraine War) का आज छठा दिन है. इस बीच रूस का एक बहुत बड़ा सैन्य काफिला 'कीव' की तरफ बढ़ रहा है. वार जोन से इतर कूटनीतिक मोर्चे पर अमेरिका (US) समेत सभी नाटो देश रूस को लगातार घेरने की कोशिश कर रहे हैं. भारत ने अभी तक संयुक्त राष्ट्र के किसी भी फोरम पर रूस के खिलाफ आए प्रस्ताव पर वोटिंग का बहिष्कार किया है. UNSC में अमेरिका की तरफ से पेश हुआ प्रस्ताव हो या कोई और भारत ने अपना रुख साफ करते हुए ये स्टैंड लिया है. वहीं दूसरी ओर एक सवाल ये उठ रहा है कि क्या इस वजह से जर्मनी (Germany) भारत से नाराज है?
रूस को अलग-थलग करने पर जोर
ऐसे कई जटिल सवालों के जवाब भारत में मौजूद जर्मनी के एंबेसडर वॉल्टर लिंडर ने दिए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने कहा है कि जर्मनी और उन्हें अब भी उम्मीद है कि भारत, संयुक्त राष्ट्र में रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपने रुख में बदलाव करेगा. जर्मन एंबैसडर का ये बयान विदेश मंत्री एस जयशंकर और जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक के बीच हुई बातचीत के बाद आया है. उस चर्चा में जर्मनी की विदेश मंत्री ने रूस को अलग-थलग करने के महत्व पर जोर दिया था.
'भारत का रुख बदलने की उम्मीद'
विदेश मंत्रियों की बातचीत के संदर्भ में जब राजदूत लिंडर से पूछा गया कि जर्मनी की विदेश मंत्री ने भारतीय विदेश मंत्री से बात की है. क्या भारत यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ जर्मनी के साथ आने को तैयार है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'इस सवाल का जवाब भारतीय कूटनीतिज्ञ ज्यादा अच्छे तरीके से दे सकेंगे क्योंकि वो ही भारत की स्थिति को अच्छे तरीके से बता सकते हैं. लेकिन हमने फोन पर हुई बातचीत में साफ कर दिया है कि हम सब एक ही नाव में सवार हैं. हम सभी अंतराष्ट्रीय नियमों की वकालत करते हैं और क्षेत्रीय अखंडता के साथ संप्रभुता के उल्लंघन का विरोध करते हैं.'
भारत ने अब तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को लेकर निष्पक्ष रुख अपना रखा है. रूसी आक्रमण के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में दो बार वोटिंग हो चुकी है दोनों बार भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. सोमवार को यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स काउंसिल (UNHRC) में भी वोटिंग हुई और यहां भी भारत वोटिंग से बाहर रहा.
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सबको भुगतना पड़ेगा खामियाजा
वॉल्टर ने ये भी कहा, 'हमने ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों ने भारत से बात की है. निश्चित रूप से अब ये भारत पर है कि वो क्या फैसला लेता है. यूक्रेन भारत से बहुत दूर हो सकता है लेकिन अगर हम यूक्रेन में पीड़ितों के मानवाधिकार उल्लंघन को सहन करते हैं तो ये अन्याय कहीं भी हो सकता है, भारत में भी. अगर हम पुतिन को वो सब करने देंगे जो वो चाहते हैं तो सभी को इसका खामियाजा भुगतना होगा.'