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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में इक्वाडोर, जापान, माल्टा, मोजंबिक और स्विटजरलैंड 2023-24 के कार्यकाल के लिए चुने गए हैं। ये देश अगले साल एक जनवरी से भारत, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको और नार्वे की जगह लेंगे।

Update: 2022-06-10 01:03 GMT

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अस्थायी सदस्य के रूप में इक्वाडोर, जापान, माल्टा, मोजंबिक और स्विटजरलैंड 2023-24 के कार्यकाल के लिए चुने गए हैं। ये देश अगले साल एक जनवरी से भारत, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको और नार्वे की जगह लेंगे।

193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दो साल के कार्यकाल 2023-24 के लिए पांच अस्थायी सदस्यों का चुनाव करने के लिए गुरुवार को चुनाव कराया। पश्चिमी यूरोप और अन्य देशों की श्रेणी में दो सीटों के लिए स्विट्जरलैंड (187 वोट) और माल्टा (185 वोट) चुने गए। अफ्रीकी और एशिया-प्रशांत के देशों में दो सीटों के लिए मोजाम्बिक (192 वोट) और जापान (184 वोट) चुने गए और लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों की श्रेणी में एक सीट के लिए इक्वाडोर 190 मतों के साथ निर्वाचित हुआ। मोजाम्बीक पहली बार सुरक्षा परिषद का सदस्य बनेगा।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने नव निर्वाचित सदस्यों को बधाई दी और सार्थक एवं उत्पादक कार्यकाल के लिए उन्हें शुभकामनाएं दीं। इक्वाडोर, जापान, माल्टा, मोजाम्बिक और स्विटजरलैंड यूएनएससी के 15 सदस्य देशों के रूप में शामिल होंगे। इसमें अन्य देश अल्बानिया, ब्राजील, गैबॉन, घाना और यूएई के साथ-साथ पांच स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका वर्ष 2023 के लिए यूएनएससी के सदस्य के रूप में शामिल होंगे।

अस्थाई सदस्य के रूप में यूएनएससी में भारत का दो साल का कार्यकाल दिसंबर 2022 में समाप्त हो जाएगा। भारत यूएनएससी-15 में सुधार के लिए वर्षों कर रहे प्रयासों में सबसे आगे रहा है, यह कहते हुए कि वह सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में एक स्थान का हकदार है।

"सदस्यता की श्रेणियों" के मुद्दे पर जी-4 देश ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान ने कहा कि जब स्थायी सीटों का विस्तार किया जाएगा, तभी परिषद के निर्णय व्यापक सदस्यता के हितों को प्रतिबिंबित कर सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में 193 सदस्य देश हैं, जो कि हर साल, दो वर्षीय कार्यकाल के लिए 10 अस्थाई सदस्यों का चुनाव करते हैं। परिषद में अपनी जगह बनाने के लिए, हर देश को दो-तिहाई बहुमत, यानी 128 मतों, की आवश्यकता होती है।

अस्थाई सदस्यों के चुनाव में भौगोलिक प्रतिनिधित्व को भी ध्यान में रखा जाता है। इस वर्ष, तीन क्षेत्रीय समूहों से पांच सीटों के लिए चुनाव हुआ। अफ़्रीकी और एशिया-प्रशांत देशों के लिए दो, लातिन अमेरिका व कैरीबियाई के लिए एक और पश्चिमी यूरोप व अन्य देशों के लिए दो सीटें।


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