अफगानिस्तान के विकास में China के योगदान का स्वागत, तालिबान ने कहा
अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले जिस कट्टवरवादी इस्लामी समूह तालिबान की पूरी दुनिया में निंदा हो रही है,
बीजिंग: अफगानिस्तान (Afghanistan) पर कब्जा करने वाले जिस कट्टवरवादी इस्लामी समूह तालिबान (Taliban) की पूरी दुनिया में निंदा हो रही है, पाकिस्तान और चीन उसके साथ दोस्ती करने को आतुर नजर आ रहे हैं. वहीं तालिबान भी अपने इन दोस्तों को लेकर खासा आशान्वित है. अब तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने चीनी सरकारी मीडिया से कहा है कि चीन (China) ने अफगानिस्तान में शांति और सुलह को बढ़ावा देने में रचनात्मक भूमिका निभाई है और देश के पुनर्निर्माण में योगदान देने के लिए हम फिर से उसका स्वागत करते हैं.
चीन उठा सकता है लाभ
पिछले दिनों तालिबानी आतंकवादियों ने अफगानिस्तान के बड़े शहरों, प्रांतों पर एक के बाद एक कब्जा करते हुए राजधानी काबुल (Kabul) को भी हथिया लिया. तालिबानी शासन आते ही यहां के हजारों नागरिक, विदेशी नागरिक तालिबानी कहर से बचने के लिए भागने लगे. लोग खौफ में हैं कि उन्हें फिर से 20 साल पहले के उस जीवन में लौटना पड़ेगा जो तालिबानी शासन (Taliban Rule) के समय में नर्क जैसा हो गया था. चूंकि चीन ने रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह तालिबान के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ी, लिहाजा अब वो इन बदले हालातों का फायदा उठाने की फिराक में है.
चीन निभा सकता है बड़ी भूमिका
शाहीन ने गुरुवार की देर रात एक इंटरव्यू में सीजीटीएन टेलीविजन से कहा, 'चीन एक विशाल अर्थव्यवस्था और बड़ी क्षमताओं वाला देश है. मुझे लगता है कि वे अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण, पुनर्वास में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.' वहीं चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पिछले महीने उत्तरी चीनी बंदरगाह शहर तियानजिन में तालिबानी डेलीगेशन के साथ हुई मीटिंग में कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि अफगानिस्तान एक उदारवादी इस्लामी नीति अपना सकता है.
गौरतलब है कि चीन अपने पश्चिमी शिनजियांग (Xinjiang) क्षेत्र के धार्मिक उग्रवाद को एक अस्थिर ताकत के तौर पर पेश करता है. इस क्षेत्र में बड़ी तादाद में वीगर मुसलमान (Uyghur) रहते हैं, जिन पर चीन जमकर अत्याचार करता है. अब वह इस बात से चिंता में है कि कहीं तालिबान-नियंत्रित क्षेत्र का उपयोग अलगाववादी ताकतों को शरण देने में न किया जाने लगे.