युद्ध के भी होते हैं नियम-कायदे…क्या आप जानते है?

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का आज सातवां दिन है

Update: 2022-03-02 15:11 GMT
Russia Ukraine Conflict: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia-Ukraine War) का आज सातवां दिन है. रूस (Russia) की ओर से लगातार हमला जारी है तो वहीं यूक्रेन (Ukraine) का दावा है कि वह भी रूस को लगातार माकूल जवाब दे रहा है. खबरों के मुताबिक, दोनों ही देशों को खासा नुकसान हुआ है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध और बातचीत के जरिए रूस पर दबाव बनाने की कोशिश तो की जा रही है कि वह तत्काल सैन्य कार्रवाई रोक दे, लेकिन रूस अभी भी लगातार हमले कर रहा है. हमलों की वजह से यूक्रेन में काफी तबाही हुई है. दुनियाभर के कई देश रूस की आलोचना कर रहे हैं.
राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने राजधानी कीव के साथ यूक्रेन के दूसरे बड़े शहर खारकिव में लगातार हो रहे रूसी हमलों की तुलना आतंक से की है और इसे 'युद्ध अपराध' बताया है. उन्होंने कहा है कि रूस को 'न कोई माफ करेगा, न कोई भूलेगा.' जिस तरह से आम लोगों की भी जानें जा रही हैं, इसे बहुत गलत बताया जा रहा है.
तो क्या युद्ध के भी नियम कायदे होते हैं? कहा तो यह भी जाता है कि जंग में सबकुछ जायज है, लेकिन ऐसा होता नहीं है. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जेनेवा में एक कन्वेंशन हुआ था, जिसमें युद्ध को लेकर नियम बनाए गए थे. आइए जानते हैं इसके बारे में.
1939 से 1945 तक चले दूसरे विश्व युद्ध में 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. युद्ध में पहली बार परमाणु बम का भी इस्तेमाल हुआ था. तबाही इतनी ज्यादा हुई कि दुनियाभर के कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष 1949 में स्विट्जरलैंड की राजधानी जेनेवा में एकजुट हुए. इसे जेनेवा कन्वेंशन कहा जाता है. यहीं पर सबने मिलकर युद्ध के नियम बनाए थे.
युद्ध के लिए बनाए गए नियमों में तय किया गया कि जंग कैसे लड़ी जाएगी, युद्ध में किन लोगों पर हमला किया जा सकता है और किनपर नहीं? युद्ध में कैसे हथियारों का इस्तेमाल किया जाएगा, किन चीजों को टारगेट किया जाएगा… ये तमाम चीजें तय ​की गई. इन नियमों को इंटरनेशनल ह्यूमैनेटिरियन लॉ (International Humanitarian Law) या लॉ ऑफ वॉर (Law Of War) कहा गया.
जेनेवा कन्वेंशन के दौरान युद्ध को लेकर बने लॉ ऑफ वॉर में 161 नियम बनाए गए. इसे 196 देशों ने मान्यता दे रखी है. ये सभी देश युद्ध के दौरान इन नियमों का पालन करने के लिए बाध्य हैं. इसमें ये भी लिखा है कि कब जंग के दौरान लॉ ऑफ वॉर लागू होगा. ये नियम बनाने के पीछे का उद्देश्य उनका संरक्षण करना था, जो युद्ध नहीं लड़ते या लड़ने की स्थिति में नहीं होते.
लॉ ऑफ वॉर के मुताबिक, अगर किसी देश के अंदर लड़ाई चल रही है तो ये नियम लागू नहीं होंगे. जब दो या दो से अधिक देशों के बीच युद्ध हो रहे हों और उनमें हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा हो तो ये नियम लागू होंगे.
कहां और किन लोगों पर नहीं कर सकते हमला?
लॉ ऑफ वार में साफ लिखा है कि जंग के दौरान आम नागरिकों को निशाना नहीं बनाया जाएगा. आम नागरिकों के अलावा युद्ध में स्वास्थ्यकर्मियों और पत्रकारों को भी निशाना नहीं बनाया जा सकता.
नियम ये भी हैं कि रिहायशी इलाकों, इमारतों, स्कूल, कॉलेज और आम घरों को निशाना नहीं बनाया जा सकता. अस्पतालों और मेडिकल यूनिट पर भी हमला नहीं किया जा सकता.
युद्ध के दौरान ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों पर भी हमला नहीं किया जा सकता. वहीं, आम नागरिकों के लिए बनाए गए शेल्टर पर भी कोई देश हमला नहीं कर सकते.
नियम तोड़ने पर माना जाएगा युद्ध अपराध
किसी भी देश की ओर से हमला करने से पहले चेतावनी जारी करना जरूरी है. बिना चेतावनी दिए कोई भी देश किसी दूसरे देश के खिलाफ युद्ध नहीं शुरू नहीं कर सकता. युद्ध प्रभावित इलाकों से आम नागरिकों को निकालने की जिम्मेदारी भी देश पर ही होती है. आम नागरिकों को निकलने से नहीं रोका जा सकता.
युद्ध के दौरान सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया जा सकता है. युद्ध के दौरान अगर दुश्मन देश की सेना आत्मसमर्पण कर रही हो तो उसके साथ मानवीय व्यवहार बरता जाएगा. उसका सम्मान करते हुए उसकी मदद की जाएगी. युद्धबंदी बनाए गए सैनिकों के साथ भी मानवीय व्यवहार करना जरूरी है. जैसा कि 1971 युद्ध में भारत ने पाकिस्तान की सेना के साथ किया था.
लॉ ऑफ वॉर (Law Of War) के मुताबिक, यदि कोई देश युद्ध के दौरान नियमों का उल्लंघन करता है तो इसे युद्ध अपराध माना जाएगा. लॉ ऑफ वॉर के चैप्टर 44 के मुताबिक, नियमों का उल्लंघन करनेवाले देश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चलाया जाता है.
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