नई दिल्ली: जब बात अपनी जान बचाने पर आ जाए तो कोई भी कुछ भी कर सकता है. आपको एक ऐसे ही शख्स की संघर्ष की कहानी बताने जा रहे हैं, जो अपनी जान बचाने के लिए करीब 225 किलोमीटर तक पैदल चला.
इस शख्स का नाम इगोर पेडिन है. उनकी उम्र 61 साल है. इगोर को रास्ते में कई बार अपनी जान बचाने के लिए दूसरे देश के सैनिकों से बचना पड़ा. खुद तो पैदल 225 किलोमीटर चले ही, वहीं नौ साल के कुत्ते 'झू-झू' को भी साथ लेकर गए.
गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, इगोर पेडिन ने मारियुपोल (Mariupol) से जपोरिज़िया (Zaporizhzhia) तक पैदल यात्रा की. इगोर ने मारियुपोल को छोड़ने का फैसला 20 अप्रैल को किया था. उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत ये थी कि कैसे अपने कुत्ते को ले जाएं?
फिर 23 अप्रैल को सुबह 6 बजे उन्होंने मारियुपोल पोर्ट के पास मौजूद अपने घर को छोड़ दिया. इगोर ने बताया वह सड़क पर आवारा की तरह चलते जा रहे थे. उनकी शुरुआती लक्ष्य ये था कि कैसे वह 20 किलोमीटर दूर निकोलस्के शहर पहुंचें.
रास्ते में उन्हें कुछ रूस के सैनिक मिले, उन्होंने उनसे पूछा कि कहां जा रहे हो? इस पर उन्होंने झूठ बोला और बोल दिया कि उनके पेट में दर्द है, इलाज के लिए जपोरिज़िया जा रहे हैं. जपोरिज़िया में इलाज के लिए उन्होंने पैसा दे दिया है. लेकिन, उनको रोककर जांच की गई. फिर वह यहां से निकले और रोजविका पहुंचे, रोजविका से वह Verzhyna नाम के गांव पहुंचे.
गार्जियन ने जो रिपोर्ट प्रकाशित की है, उसमें बताया गया है कि उनकी कई जगह जांच हुई. कई जगह उनको रूसी सैनिकों ने रोका. एक रात तो उन्हें कुर्सी पर सोकर बितानी पड़ी, उनका कुत्ता झू-झू उनके कोट में सोया. जब वह जपोरिज़िया पहुंचे और उन्होंने एक महिला को बताया कि वो मारियुपोल से पैदल आए हैं. यह सुनकर वह चिल्ला पड़ी, उसने कई लोगों को अपने पास बुलाया और उनके संघर्ष की कहानी बताई. इगोर ने बताया कि 3 मार्च को मारियुपोल में रूसी सैनिकों ने उनके बेटे की हत्या कर दी थी.